Wednesday, April 22, 2009

मुझे गम है मेरा कोई यहाँ दीवाना नहीं है


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Muzhe gum hai mera koi yahaaN dewaana nahiN hai,
Yakinan duniya ne muzhko yahaN pehchana nahiN hai.

Hua hooN para-para dekh zamaane ki adaoN ko,
Muzhe kyuiN lagta tha koi yahaaN be-gana nahiN hai.

Chale talwaaroN ki maafik zubaaN apne kareeboN ki,
Lage waise bhi ab mousam yahaaN suhaana nahiN hai.

Hue hamdard ab dushman khudaya de kafan muzhko,
YahaaN be-dard duniyaaN maiN mera thhikana nahiN hai.

Tazurba ho gaya muzhko sahe jab sholay nafrat ke,
Hui jo sazisheiN par 'harash' yahaaN anjana nahiN hai.


Harash© 




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मुझे गम है मेरा कोई यहाँ दीवाना नहीं है
यकीनन दुनिया ने मुझको यहाँ पहचाना नहीं है । 

हुआ हूँ पारा-पारा देख ज़माने की अदाओं को
मुझे क्यूँ लगता था कोई यहाँ बेगाना नहीं है ।

चले तलवारों की माफिक जुबां अपने करीबों की
लगे वेसे भी अब मौसम यहाँ सुहाना नहीं है ।

हुए हमदर्द अब दुश्मन खुदाया दे कफन मुझको
यहाँ बे-दर्द दुनिया में मेरा ठिकाना नहीं है ।

तजुर्बा हो गया मुझको सहे जो शोले नफरत के
हुई जो साजिशें पर 'हर्ष' यहाँ अनजाना नहीं है ।


__________________हर्ष महाजन ।

1 comment:

  1. 221 1221 1221 122
    ग़म है मेरा कोई यहाँ दीवाना नहीं है
    दुनियाँ ने यकीनन मुझे पहचाना नहीं है ।

    टूटा मैं जमाने की अदा देख सनम यूँ,
    लगता था कोई मेरा याँ बेगाना नहीं है ।

    तलवारों की माफ़िक है ज़ुबाँ अपने करीबों की,
    मौसम यूँ लगे आज भी सूहाना नहीं है ।

    हमदर्द भी दुश्मन बने हैं आज सनम यूँ
    बेदर्द है दुनियाँ भी याँ ठिकाना नहीं है ।

    अब सह रहे हैं नफ़रतें दुनियाँ में ख़ुदाया,
    ये साजिशें है 'हर्ष' भी अनजाना नहीं है ।

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