Friday, September 23, 2011

खुशिओं की दूकान

गर हर शख्स के लिए खुशिओं की दूकान होती
यकीनन ये खुशीआं कुछ दिन की मेहमान होती
कीमत तो घट ही जाती हर चीज़ की दुनिया में
मगर हर रूह की झोली इस जहां में वीरान होती |


_________हर्ष महाजन

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