Thursday, December 1, 2011

ग़ज़लों की सूरत में तुझे मिलना चाहता हूँ

ग़ज़लों की सूरत में तुझे मिलना चाहता हूँ
तसव्वर में तेरे, फूलों सा खिलना चाहता हूँ |

उम्र बीत जायेगी यूँ ही शब्दों में घुलते-घुलते
तेरी हर तहरीर में मक्ता बन ढलना चाहता हूँ |

__________हर्ष महाजन  

7 comments:

  1. वाह.....बहुत खूब...

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  2. आपकोे पोस्ट पर आकर बहुत अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  3. आपकोे पोस्ट पर आकर बहुत अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  4. सुंदर गजल..बधाई...
    मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है

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