Monday, February 20, 2012

मोहब्बत रंग लाती है दिल से दिल मिलने के बाद


मोहब्बत रंग लाती है दिल से दिल मिलने के बाद
फिर दे जाती है ज़ख्म पल में दिल छलने के बाद

पैमानों की इल्लत है जो नूर को बे-नूर बना देती हैं
नशा काफूर हो जाता है इक बे-वफ़ा सुनने के बाद ।


___________________हर्ष महाजन

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