Sunday, April 22, 2012

शाक-ए-हुस्न पे रुक कर मैं बुलंदियों से गुज़रा

शाक-ए-हुस्न पे रुक कर मैं बुलंदियों से गुज़रा
मैं नफस-नफस से गुज़रा, आफताब से गुज़रा ।

__________________हर्ष महाजन ।

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