Tuesday, April 10, 2012

अब दिन के उजालों में शबनम हो नहीं सकती

अब दिन के उजालों में शबनम हो नहीं सकती
कोई भी नार वफ़ा छोड़ हमदम हो नहीं सकती।
खुदा के नाम पर ये "हर्ष" शायरी करता रहेगा,
रहे गर्दिश में कोई सहर हरदम हो नहीं सकती ।

_______________हर्ष महाजन ।

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