Sunday, May 6, 2012

इस तरह न किसी पे हंसा कीजिये


_________गीत

इस तरह न किसी पे  हंसा कीजिये,
जो भी हो हर किसी से वफ़ा कीजिये ।
चूड़ियाँ भी रहें अब सलामत तेरी,
ज़िन्दगी भर इसी की दुआ कीजिये ।

करते थे वो वफ़ा जो रहे हमसफ़र,
डंके की चोट पर हम देते थे खबर ।
गर हुए बे-वफ़ा वो तो क्या कीजिये
फिर मेरे दर्द-ए-दिल की दवा कीजिये ।

मुझको जीना यूँ ख़्वाबों में आता नहीं
फिर दबे पाँव आना मुझे आता नहीं,
अब हकीकत की दुनिया जिया कीजिये,
और ख़्वाबों से खुद को रिहा कीजिये ।

अब तुझे छोड़ कर मैं कहाँ जाऊं 'हर्ष'
तुझ तक आना ही मेरी ये ज़िन्द थी संघर्ष,
अब तुम कह दो मुझे झक मारा कीजिये
दिल किसी  और पे आये क्या कीजिये ।

इस तरह न किसी पे  हंसा कीजिये,
जो भी हो हर किसी से वफ़ा कीजिये ।


_____________हर्ष महाजन ।




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