Friday, August 31, 2012

khwahiish ab dil ki maar saka na koi

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khwahiish ab dil ki maar saka na koi
Aajkal aadat  sudhaar saka na koi
Dekhta tha aayina maiN roz yahaaN
Harash-e-hasti yuN nikhaar saka na koi.


_____________Harash Mahajan

'हर्ष' लगे शिक्वों से दोज़ख पा गया

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'हर्ष' लगे शिक्वों से दोज़ख पा गया
आसमाँ अब यूँ ज़मीन पे आ गया ।
डर है मुझे दुनिया कहीं कर दे न कतल,
मै इश्क से खुद ही खता यूँ खा गया ।

______________हर्ष महाजन ।

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'Harash' lage shikwoN se dozakh pa gaya
aasmaN ab yuN zameeN pe aa gaya.
Dar hai mujhe duniyaaN kahiN kar de na katal
MaiN ishq se khud hi khata yuN kha gaya.

_______________Harash Mahajan

मुखबरी शख्स की इम्तिहान हो गयी साकी

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Mukhbarii shaks ki imtihaan ho gayi saaki
Hai ye mumkin ke beyiimaan ho gayii saaki
HaaN ye khudgarz faqat jhoot ki duniyaaN saari
Aatish-e-furkat bhi pashemaan ho gayii saaki.

_______________Harash Mahajan.

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मुखबरी शख्स की इम्तिहान हो गयी साकी
है ये मुमकिन के बेईमान हो गयी साकी ।
हाँ ये खुदगर्ज़ फ़क़त झूठ की दुनियाँ सारी
आतिश-ए-फुर्कत भी पशेमान हो गयी साकी ।

_______________हर्ष महाजन



Aatish-e-furkat=judayee ki aag

फ़क़त ब्रह्मास्त्र रखना कातिल को सजा नहीं दे सकता ऐ 'हर्ष'

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फ़क़त ब्रह्मास्त्र रखना कातिल को सजा नहीं दे सकता ऐ 'हर्ष'
ये तो तुम्हारे लफ्ज़ हैं जो ज़ुबां से निकल कर उन्हें मात देंगे ।

______________________हर्ष महाजन

Sunday, August 26, 2012

मेरे जलवे मेरी ख्वाईश तेरे होने से काबिल है

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मेरे जलवे मेरी ख्वाईश तेरे होने से काबिल है ,
मेरे हर गीत में तेरी वो ठोकर खूब शामिल है ।
मेरी हर सोच में बंदिश गर कुछ हो भी जाती है,
वो बस इक नाम ही तेरा ज़हन में खूब कामिल है ।।

___________________हर्ष महाजन ।

मैं तनहा हूँ तनहायी में तसव्वुर यूँ सताता है

मैं तनहा हूँ तनहायी में तसव्वुर खूब सताता है,
वफ़ा जब बे-वफ़ा होती सफ़र सब कुछ बताता है ।

तलब इतनी मुहब्बत की मेरे दिल पे यूँ काबिज़ है,  
मेरा दीवाना-पन उसको मेरा सब कुछ लुटाता है ।।

ज्यूँ  होती शाम फिर उसकी जुदायी याद आती हैं,
ये ज़ख्मीं दिल खरा इतना सब कुछ भूल जाता  है।

न जाने कौन सी रुत में वफायें लौट आती हैं,
उसी की आस में ये दिल ये राहें खूब सजाता है ।

मैं आईना हूँ जो टूटेगा मुझे मालूम है इतना, 
मगर दिल हमसफ़र अपना उसे ही खूब दिखाता है ।


_______________हर्ष महाजन ।






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मैं तनहा हूँ तनहायी में तसव्वुर खूब सताता है,
वफ़ा जब बे-वफ़ा होती सफ़र सब कुछ बताता है ।
तलब इतनी मुहब्बत की मेरे दिल पे यूँ काबिज़ है,
मेरा दीवाना-पन उसको मेरा सब कुछ लुटाता है ।।

_______________हर्ष महाजन ।



MaiN Tanha huN tanhayi me tasawwur khoob satata hai
wafa jyuN chhod jaati sang safar sab kuch batata hai.
Talab itni muhabbat ki mire dil pe yuN kaabiz hai
Mera dewana-pan usko mera sab kuch lutaata hai.

___________________ Harash Mahajan.

Saturday, August 25, 2012

तेरी हुई सोहबत तो कोई काम बड़ा कर दूं

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तुझसे हुई मुहब्बत तो कोई काम बड़ा कर दूँ ,

तुझको मैं दिल जो दूँ जवाहरात जड़ा कर दूँ ।
तसव्वुर में भी जो मेरी वफ़ा पे यकीं न हो,
तू जो कहे मैं आज ताजमहल खड़ा कर दूं ।।

______________हर्ष महाजन ।

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Tujhse hui muhabbat to koi kaam bada kar duN,
Tujhko maiN dil jo duN jwaharaat jada kar duN .
Tasawwur me bhi jo meri wafa pe yaqeeN na ho ,
Tu jo kahe maiN aaj taazmahal khada kar duN.

____________________Harash Mahajan.

Thursday, August 23, 2012

शायर तू किसी नज़्म का उन्वान बनाना

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शायर तू किसी नज़्म का उन्वान बनाना,
दिल में जो हैं अहसास मेरे उफान बनाना ।
जो दर्द दिए जग ने मुझको  भूल न जाना
अपने ही हुनर से उन्हें तूफ़ान बनाना ।।

_____________हर्ष महाजन ।

कुछ दिखा दो ऐसा जौहर,कि मेरी अब वो मुरीद हो

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कुछ दिखा दो ऐसा जौहर,कि मेरी अब वो मुरीद हो,
वो जो मिलती रोज़ सर-ए-राह मेरी अब वो मरीज़ हो ।
वह्शातें सह ली है मैंने इस ज़माने की बहुत,
इसमें है क्या गुनाह, मांगू मेरे अब वो करीब हो ।।

_____________________हर्ष महाजन ।

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kuch dikha do aisa johar, merii ab wo mureed ho,
Wo jo milti roz sar-e-raah merii ab wo mareez ho.
wehhsateN seh lii hai maine is zamaane ki bahut
isme hai kya gunah ke maangu mere ab wo qareeb ho.


_____________________Harash mahajan

Tuesday, August 21, 2012

टूट चुका हूँ मैं औ मेरे, अहसास सब बिखर गए,


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टूट चुका हूँ मैं औ मेरे, अहसास सब बिखर गए,
कुछ जुबां पे ठहर गए, न जाने कुछ किधर गए ।
दिल के बागबाँ में मेरे, खिलने को फूल थे बहुत
कुछ तो मेरे संग रहे, और कुछ इधर-उधर गए ।

_______________हर्ष महाजन ।

written at my timeline 4 hours before
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Sunday, August 19, 2012

अब बे-वफा जो हैं सभी साहिलों पे रुके हैं

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अब बे-वफा जो हैं सभी साहिलों पे रुके हैं
देते जो ठंडी छाँव शजर राहों पे झुके हैं,
महफूज़ हैं वो दिल सभी जो इश्क से परे  
ये पत्थरों से दिल जो हैं आईनों पे टिके हैं ।

_______________हर्ष महाजन ।

शागिर्द बनूँगा तेरा शागिर्द बनूँगा

मेरे गुरु जी को समर्पित एक छोटा सा अहसास ..... छोटे से मुक्तक की राह से

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शागिर्द बनूँगा तेरा शागिर्द बनूँगा,
होगी न ऐसी बात के संदिग्द बनूँगा ।
कलम से तेरी जब भी कोई हर्फ़ चलेंगे,
वो सब कही किताबों की मैं जिल्द बनूँगा ।

________________हर्ष महाजन ।

Saturday, August 18, 2012

आदमी को चाहिए ...अपने लिए दो गज ज़मीं

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आदमी को चाहिए ...अपने लिए दो गज ज़मीं,
जाने फिर क्यूँ चाहतों में, दो जहां की हर ज़मीं |
कौन जाने ज़िन्दगी का, ये दिया कब तक जले,
खुद ग़मों की बाढ़ में बहने लगे गी जब ज़मीं |
देख कर अब आईना, खुद से भरोसा उठ गया,
अब खुदा से मांगता है "हर्ष" अब दो गज ज़मीं
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_______________हर्ष महाजन |


Ek puraani kriti thodi edit ke saath

Thursday, August 16, 2012

ऐ मौत तुझ से मैं डरता नहीं हूँ पर

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ऐ मौत तुझ से मैं डरता नहीं हूँ पर
तेरी दस्तक मुझे जीने नहीं देती ।

______________हर्ष महाजन 


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 ऐ मौत मैं डरता नहीं तुझसे मगर तू सुन
दस्तक तिरी मुझको कभी जीने नहीं देती ।
मय से भरे शीशे में जब तू ही नज़र आये
आंसू भी मुझको चैन से पीने नहीं देती ।

_____________हर्ष महाजन ।

Wednesday, August 15, 2012

hamaari Qalam ab aansu bahane lagi hai

hamaari Qalam ab aansu bahane lagi hai
shayad ab aisi hi mahfil roz chahne lagi hai

_______________________Harash mahajan

बाबा फाटक खोल अब........देखूं दीप प्रकाश

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___सुफिआना

बाबा फाटक खोल अब........देखूं दीप प्रकाश
जन्म-जन्म मैं ढोलता,बुझी न अब तक प्यास ।

________________हर्ष महाजन ।

मेरी अधीर आँखें हैं सागर पिए हुए

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मेरी अधीर आँखें हैं सागर पिए हुए ,
अब बह रही इक उमर से आंसू लिए हुए ।
इक वक्त था वो शैदा थे मेरे शबाब के,
पर आज वो गैरों से हैं शिर्कत किये हुए ।

_____________हर्ष महाजन

Saturday, August 11, 2012

दोहे--बाबा इतनी भीड़ में कैसे करूँ सलाम

दोहे --सुफिआना

बाबा इतनी भीड़ में कैसे करूँ सलाम ,
तीजे तिल खड़ा हुआ,देखा तेरो नाम ।

रौशन सारा जग हुआ,देह हुई निष्काम,
मन के सारे भ्रम तजे ,पहुंचा मैं निज धाम ।

___________हर्ष महाजन ।

Friday, August 10, 2012

अब होने लगा गुमान उसे कुछ देर देखना

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अब होने लगा गुमान उसे कुछ देर देखना
वो शख्स बहुत परेशान उसे कुछ देर देखना ।
यूँ देख कर हुआ अहसास गिरा अख़लाक़ से
वो खुद करेगा दिल ईमान कुछ देर देखना ।


_________________हर्ष महाजन ।

कुछ ज़ख्मों की तस्वीरें बना कर ज़रूर रखना

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कुछ ज़ख्मों की तस्वीरें बना कर ज़रूर रखना
उन्हें अपनी किताबों में सजा कर ज़रूर रखना ।
कौन जाने ऐसी घडी आ जाए की भूलें खुदा को
न डरो हवा से तुम शमा जला कर ज़रूर रखना ।

_______________________हर्ष महाजन ।

Wednesday, August 8, 2012

किस तरह संजो कर रखेंगे यह स्वर्णिम मुक्तक यहाँ

किस तरह संजो कर रखेंगे यह स्वर्णिम मुक्तक यहाँ
रफ्ता-रफ्ता खुद बे-मिसाल दीवानों में सिमट जायेंगे

............................... .......हर्ष महाजन

Tuesday, August 7, 2012

ना ये दिग्गजों से सीखा ना रहबरों से सीखा

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ना ये दिग्गजों से सीखा ना रहबरों से सीखा
ये इश्क-ए-जिंदगानी तेरी ठोकरों से सीखा ।
इस इल्म की ही खातिर मै था शायरी में डूबा
पर तू इल्जाम दिए है ये सब कायरों से सीखा ।


_______________हर्ष महाजन ।

Sunday, August 5, 2012

हर्षा सुख तू छोड़ दे नाम जपो दिन रात

सुफिआना
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हर्षा सुख तू छोड़ दे नाम जपो दिन रात
तीसरे तिल पे चल रहि सच-खंड धुन सौगात ।

__________________हर्ष महाजन ।

'हर्षा' मन लालच भरा बाबा तू कुछ बोल

'हर्षा' मन लालच भरा बाबा तू कुछ बोल
राधास्वामी नाम का रस मुझ अंदर घोल ।

_________हर्ष महाजन ।

Saturday, August 4, 2012

सबरी उम्र जु संग रहे, करे निरंतर प्यार

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सबरी उम्र जु संग रहे, करे निरंतर प्यार
इंसानी फितरत वही , दिये सदा दुत्कार ।

दिये सदा दुत्कार जो, वहीँ अश्क बहाय
जो किये परवाह सदा, उन्हें सदा रूलाय ।


दिमाग करि मन चाकरी, इन्द्रियाँ बनि बकरी
असल गुनाह यु मन करे, इन्द्री जाए पकड़ी ।


शायरी मिरि अर्धांगिनी, शायरी मेंरि जान
जिस दिन कहुं अहसास सब, बन जाऊं सुलतान ।



__________________हर्ष महाजन ।

मेरे दिल की बातें जो कागज़ पे थीं

_________एक गीत

मेरे दिल की बातें जो कागज़ पे थीं, 
दर्द-ए-दिल में असुअन से खाए नमीं ।
गम-ए-फुर्कत से न निकले कोई हल,
जब तक न बनेगी कोई दिल पे ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें ............

मुझको मालूम है तू होगा फनां,
मेरे बिना तुझको भी जानां कहाँ ।
शिकायतें तो तुझको ज़माने से थीं, 
जाने फिर क्यूँ ढूंढें है मुझमें कमीं । 
मेरे दिल की बातें..........
 
अब तो लुत्फ़-ए-ज़न्नत गली में तेरी,
दिल में कलियाँ खिल गयीं अब मेरी ।
बुलंदी पे तारों की छाँव घनीं,
पाँव नीचे होगी कोई ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें..........

मैं हक पे हूँ तो गम है किस बात का,
मुखालिफ ये दुनियाँ तो डर भी है क्या ।
रूह मेरी कातिल तिरे गम में सनीं,
खुदा के लिए अब तू कर ले यकीं ।
मेरे दिल की बातें..........
 

__________हर्ष महाजन


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गम-ए-फुर्कत=जुदाई
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Friday, August 3, 2012

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मंजिल को तलाश है एक ऐसे हुस्न की, जो उसके होने की तसदीक कर दे
वो कसीदे पढता रहा उसकी चाह में, शायद यही वज़ह उसे नज़दीक कर दे ।

_______________________________हर्ष महाजन ।

Thursday, August 2, 2012

उस शख्स ने लगे है मुझे बर्बाद करने की ठानी है

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उस शख्स ने लगे है मुझे बर्बाद करने की ठानी है
मगर खुदा ने फ़क़त उसकी यही बात नहीं मानी है ।
बहुत चाहा था उसे मैंने मगर उसे बता ही न सका
मगर खुदा ने मेरी ज़िन्दगी रग-रग तक पहचानी है ।

_______________________हर्ष महाजन ।

बड़ी मुश्किल से काबू किया है इस दिल को आज मैंने

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बड़ी मुश्किल से काबू किया है इस दिल को आज मैंने
वर्ना राखी के दिन बगावत न कर बैठता  माँ के बगैर ।


________________हर्ष महाजन ।

ज़ख्म दर ज़ख्म अपने अहसास इन शेरों में प्रवेश करता हूँ

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ज़ख्म दर ज़ख्म अपने अहसास इन शेरों में प्रवेश करता हूँ
बस दिल के कुछ टुकड़े हैं जो रोज़ किश्तों में पेश करता हूँ ।

_______________________हर्ष महाजन ।