Tuesday, October 30, 2012

इस कदर यूँ दर्द मेरा आसान कर दिया

...

इस कदर यूँ दर्द मेरा.........आसान कर दिया ,
पर रख लबो पे लब मुझे बदनाम कर दिया |

इन धडकनों में हम जिन्हें थे खुद सुना किये,
पर्दा नशीं था इश्क वो सर-ए-आम कर दिया
|

ये किस तरह की सहर जो दिल तड़पने लगा,

खिला हुआ था  बाग़  कब्रिस्तान कर दिया |

किरदार उसका आज........मेरा नाम ले गया,
शायर था मैं मशहूर पर गुमनाम कर दिया |

इक वक़्त था ये ज़िंदगी तो थी हसीं मगर ,

ज़ुल्म-ओ-सितम ने आज बे-जुबान कर दिया |


_______________
हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment