Sunday, December 30, 2012

उसके दर्द-ऍ-रूह की इंतिहा मेरे शब्दों ने इस कदर पा ली है

नत-मस्तक हूँ उस रूह पे जिसने अपनी रूह की ताकत से दरिंदों के प्रति अपनी रूही ताकत से लोगों में रोष की भावना का संचार कर दिया ............खुदा तुम्हे सबके दिलों में हमेशा जिंदा रखे और उन दरिंदो से लड़ने की ताकत दे |
 
 
उसके दर्द-ऍ-रूह की इंतिहा मेरे शब्दों ने इस कदर पा ली है,
कि हर आह पे उसके मेरी ग़ज़लों ने रोने की कसम खा ली है |
जिस्म किया इस तरह छलनी उन दरिंदो ने कि रूह तक काँप उठे,
मगर मेरे शेरो ने उसके ज़ख्मों की झलक बे-धड़क उठा ली है |

_______________________हर्ष महाजन

Sunday, December 16, 2012

क्यूँ तेरे किस्से किताबों की जगह लेने लगे

...

क्यूँ तेरे किस्से किताबों की जगह लेने लगे ,
दिल का दर्द है शायद अहसासों में बहने लगे |
रोक ले इन ज़ख्मों को ये इल्तिजा है साहिल,
कहीं ये ज़ख्म नासूर बन दिल में न रहने लगे |

_______________हर्ष महाजन

Saturday, December 15, 2012

मेरी तहरीरें उनकी यादों से इस तरह सजी रहती हैं

...

मेरी तहरीरें उनकी यादों से इस तरह सजी रहती हैं ,
कि उनके फेंके पत्थर भी फूल सी नरमी रखते हैं |

_________________हर्ष महाजन |

इन लरजते होटों से तस्दीक न कर चाहत की

...

इन लरजते होटों से तस्दीक न कर चाहत की,
आजकल रकीबों की मंडी आसपास बसती है |
किस तरह बचा के रखोगे नसीब में दिलदार को,
अब तो हाथों की लकीरें भी किस्मत पर हंसती हैं |

______________हर्ष महाजन

काश ! कुछ यूँ होता, तेरे ख्याल साथ होते

...

काश ! कुछ यूँ होता, तेरे ख्याल साथ होते,
फिर इस तरह से मेरे तुम दरमियाँ तो होते | 

...जिन दिलों की रस्में मिलने से होतीं पूरी ,
कुछ कदम यूँ मिलके दिल बागबाँ तो होते |


____________हर्ष महाजन |

Thursday, December 6, 2012

उसने भी सलीके से सलाह दे डाली

...

उसने भी सलीके से सलाह दे डाली,
दिल ने भी कहा अब उठा ले प्याली |
अरसा होने को है रसपान नहीं किया,
अधर अपना तूफ़ान करने को खाली |

______________हर्ष महाजन

आज का एहसास -लेखन की जगह लेखक को सराहना

...

आज का एहसास
____________

लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |
अधर में लेखनी अहसास चकनाचूर ,
बे-वफ़ा जब हुए पहुंचे फिर मैखाना |

लेखन की जगह लेखक को सराहना,
आस्तीन पकड़ने का ये दस्तूर पुराना |
खरबूजा छुरी पर या छुरी फिर उसी पर
कटा हो के घायल ये जानता ज़माना |

लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |

______हर्ष महाजन

किस तरह जुदा करूँ तुझे मैं अपने तसव्वुर से

...

किस तरह जुदा करूँ तुझे मैं अपने तसव्वुर से
खुदा कसम तू यादों में न होती तो खुदा होती |

_________________हर्ष महाजन

जनाब अपने अहसास खंगालिए

...

जनाब अपने अहसास खंगालिए
इन रिश्तो की बागडोर संभालिये |
छूट जाएगा सब कुछ इस जहां में ,
नहीं तो संभाल लेंगे यहाँ कंगालिये |

_____________हर्ष महाजन

Sunday, December 2, 2012

उसने आज मेरी गिरेबान पे हाथ डाल दिया

...

उसने आज मेरी गिरेबान पे हाथ डाल दिया,
जो दिल में था बे-धडक उसने निकाल दिया |
बहुत ज़र्ब लगा दिल के किसी कोने में मुझे,
मुद्दत से ठंडा था क्षण में उसने उबाल दिया |

_______________हर्ष महाजन