Saturday, August 31, 2013

ये तूने किस तरह हाज़िर किया है तल्ख़ नजराना

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ये तूने किस तरह हाज़िर किया है तल्ख़ नजराना,
भला अब होगा क्या उसका, जो तेरा होगा दीवाना |
ये तेरी बे-रुखी न जाने.......... तब क्या रंग लाएगी,
अगर होगा न कोई दाग....... ज़ख़्मी होगा परवाना |

____________________हर्ष महाजन

तूने प्यार का जो आह्वान किया हैरान हो गया,

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तूने प्यार का जो आह्वान किया हैरान हो गया,
रिश्ता बदल अहतराम किया परेशान हो गया |
अब किस तरह बदले हैं ये दिन-रात और पहर,
ये देख कर मैं आज मगर सुलेमान हो गया |

__________________हर्ष महाजन

Friday, August 30, 2013

क्यूँ अपने दिल को सराए का खिताब दे डाला

ज़िन्दगी एक सराए ही तो है
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क्यूँ अपने दिल को सराए का खिताब दे डाला,
बे-वज़ह सुख-दुःख रुकेंगे नया सवाब दे डाला |
किस तरह निभाओगे रोज़मर्रा की सहूलियतें ,
किस तरह नए ज़ख्मों का ये हिसाब दे डाला |

___________________हर्ष महाजन

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Thursday, August 29, 2013

तू रिश्ता बन मेरे सीने में धड़का मगर तडपा गया

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तू रिश्ता बन मेरे सीने में धड़का मगर तडपा गया,
महका किया बन गुलिस्ताँ अब जाने क्यूँ मुरझा गया |
जिन शहरों में मैखाने हैं, जिन हाथों में पैमाने हैं,
उनका सफ़र तन्हा लगे यही गम मुझे उलझा गया |

_____________________हर्ष महाजन

Wednesday, August 28, 2013

बेवज़ह तू दो पल जुदा हुई

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बेवज़ह तू दो पल जुदा हुई,
शायद तू खुद न रिहा हुई |

जब मुस्तकबिल तेरा यहाँ,
काहे को तू फिर विदा हुई |

तुझे रंज कोई कलम से है ,
फिर नराज़गी क्या अदा हुई |

दुश्मन था पहले ही ताब पे ,
जो थीं हसरतें यूँ फना हुई |

तू समन्दरों की प्यास फिर,
दरिया पर क्यूँ तू फ़िदा हुई |

सर रख तू रो जिन कांधों पे,
तू समझ 'हर्ष' से अता हुई |

________हर्ष महाजन

Tuesday, August 27, 2013

क्यूँ मुझको भेजा जुदा जुदा

नज़्म

क्यूँ मुझको भेजा जुदा जुदा,
तू तो सृष्टी का है खुदा खुदा |

कभी राम के अवतार में तू ,
कभी श्याम रंग मिला हुआ |

कभी इतना सर पे चढ़ा दिया,
यूँ ही राधा का श्रृंगार दिया |

कभी इक गरीब सुदामा को,
इक दोस्त बन के खुदा किया |

कभी पांडवों को दिया शज़र,
कभी कौरवों की थी ली खबर |

कलयुग में गीता संदेशों से
भक्तों के सर पे तेरी नजर |

तू तो हर किसी में बसा हुआ,
जिसमे हुआ तू, खुदा हुआ |

क्यूँ मुझको भेजा जुदा जुदा,
तू तो सृष्टी का है खुदा खुदा |

___हर्ष महाजन

मैं तो अपने दर से बिछुड़ गया



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मैं तो अपने दर से बिछुड़ गया,
न सफ़र में था पर किधर गया |

यूँ ही करके खूँ अब भरोसे का,
वो गया, मगर न ज़हर गया |

मेरी भड़के आग तहरीरों में,  
जाने अब कहाँ वो हुनर गया |

न है रंज मुझे न शिकन कोई ,
अब ख़्वाबों से भी ज़िकर गया |

था चिराग दिल में जो बुझ गया,
जो भी ज़हन में था फिकर गया |

________हर्ष महाजन |

Monday, August 26, 2013

मुझे वो दिल से मिले गुल तभी गुलजार हुए

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मुझे वो दिल से मिले गुल तभी गुलजार हुए,
सबब था कुछ भी मगर अब मेरे सरकार हुए |
जहाँ थे चर्चे उनके शहर तक अफसाना हुआ ,
मेरी रग-रग में आज नशे के  कारोबार हुए |

_______________हर्ष महाजन

Sunday, August 25, 2013

हर्षा इस संसार में, शिकवों का भण्डार


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हर्षा इस संसार में, शिकवों का भण्डार,
बात-बात बे-बात अब, उगले वो  अंगार |
उगले वो अंगार, रहा हरसु वो बगल में,
छुप-छुप करे उ वार, शख्स वो शुगल-शुगल में|
कहे 'हर्ष' समुझाए, शिकवों पर करो न खर्चा,
दिल को करो दबंग, है जब तक संग हर्षा |

________________हर्ष महाजन

उसने कभी देखे नहीं मेरे क़दमों के निशाँ

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उसने कभी देखे नहीं मेरे क़दमों के निशाँ,
तन्हाईयाँ खुद बता देती उसे खामोश जुबां |
कब तलक छुपाओगे वफाओं के सिलसिले,
फिर कब बनेगा अपना इक अलग सा जहाँ |

_______________हर्ष महाजन

Friday, August 23, 2013

दिल के आईने में अक्स उसका अब दिखाई न दे

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दिल के आईने से मेरे उसका अक्स ऐसे गया ,
मेरे हाथों की लकीरों से वो शख्स जैसे गया |

________________हर्ष महाजन 

किसी की तबाही का मंजर उसे सकूं देता है बहुत

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किसी की तबाही का मंजर उसे सकूं देता है बहुत,
सदियों से कब्रें बदल रहा है, वो इसे पाने के लिए |

___________________हर्ष महाजन

Thursday, August 22, 2013

जाने क्यूँ अब खेलने को उसे मेरा दिल ही नज़र आने लगा

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जाने क्यूँ अब खेलने को उसे मेरा दिल ही नज़र आने लगा,
तन्हाइयों में है मुद्दत से,ये सोच मैं खुद को समझाने लगा |
जलवा फिरोश होती है रोज़ मेरी ही कही तहरीरों पर अक्सर,
शायद आज़ाद कहने को हर शेर उसे अधूरा नजर आने लगा |

_______________________हर्ष महाजन |

Wednesday, August 21, 2013

जाने किस ख्याल से ये मंसूबे बनाए उसने

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जाने किस ख्याल से ये मंसूबे बनाए उसने,
ज़हर देकर बचने के नुस्खे भी बताये उसने |
किस तरह कहूँ ये इश्क था या नफरत उसकी,
दुनियां को क्या-क्या फलसफे सुनाये उसने |

_______________हर्ष महाजन

Tuesday, August 20, 2013

खुद को कर देना इतिहास के पन्नों पर कुछ यूँ चस्पा

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खुद को कर देना इतिहास के पन्नों पर कुछ यूँ चस्पा,
कभी दुबारा सर ज़मीं छू ली तो तुम्हे शरीक कर पाऊँ |
बहुत कर लिए हैं गुनाह और उनका असर भी देखा है,
अब आऊँगा दौर-ए-वफ़ा लेकर कि तुम्हे करीब कर पाऊँ |

________________________हर्ष महाजन

देखकर तस्वीर तेरी रगों में खून मेरा दौइने लगा है

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देखकर तस्वीर तेरी रगों में खून मेरा दौइने लगा है,
गर तू इश्क मे है मुब्तिला तो आज इसे हटा देना |
दिल का समंदर शांत था मगर आज उफान पर है,
कुछ अश्क पी चूका हूँ कुछ तुम पी कर सुला देना |

__________________हर्ष महाजन

Sunday, August 18, 2013

टूटकर बिखरा है मुक़द्दर उसका खफा निकला

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टूटकर बिखरा है मुक़द्दर उसका खफा निकला,
परिंदा था इश्क का हमसफ़र बे-वफ़ा निकला |
किस तरह बताये वो अपनों के दिए ज़ख्म अब ,
खरोंच तो आयी दिल से जितनी दफा निकला |

____________हर्ष महाजन

है ये ऐसा बंधन प्यार का जिसे याद कर घर आये तू

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रक्षाबंधन पर उतरे कुछ दिल के असल अहसास आपके हवाले
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है ये ऐसा बंधन प्यार का जिसे याद कर घर आये तू ,
कितना है उस धागे में प्यार खुद चेहरे से दिखलाये तू |


नन्ही कली फिर हुई बड़ी और अश्कों में फिर विदा हुई,
बाबुल तो यूँ ही चला गया ,कुछ चैन सुख बतलाये तू |


धागा है ये अपनी जगह , ये त्यौहार भी अपनी जगह,
तेरा हक सलामत अब भी है बाबुल से ज्यूँ इठलाये तू |


तू धागा जब जब बांधे है , तेरा अक्स माँ सा लागे है ,
मुझे बन्धनों से अगाह करे फिर स्नेह भाव समझाए तू |


ये जो रंग बिरंगी राखियाँ संग  अतीत की परछाइयां ,
  उन भूली बिसरी यादों संग खुशियों का रंग बिखराए तू |


___________________हर्ष महाजन

Thursday, August 15, 2013

मैं तो उस दिन भी जंग में शरीक हुआ

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मैं तो उस दिन भी जंग में शरीक हुआ,
जब भारत था जिस दिन तहरीक हुआ |

मादरे हिन्द का चेहरा भी था खुश बहुत,
जब तिरंगा था हिन्द का प्रतीक हुआ |

पर न जाने था कब हिन्द आज़ाद हुआ,
दुनिया जाने गलत क्या था ठीक हुआ |

ये कलम उन शहीदों पे चलती रही ,
जो भी हिन्दू-मुसलमां निर्भीक हुआ |


___________हर्ष महाजन

Wednesday, August 14, 2013

...आज़ाद हुआ मैं आज़ाद वतन ....


__________नज़्म__________


...आज़ाद हुआ मैं आज़ाद वतन ....

एक जहरीली सी भूल हुई शख्स से ,
हिन्दुस्ताँ का विभाजन कुछ रंग लाएगा |

कुछ इधर हो लिए, कुछ उधर हो लिए,
सोच कर चुप तिरंगा तो लहराएगा |


पर वो शख्स का वादा आवाम से था,
गर विभाजन हुआ, लाश से जाएगा |


पर वो बात भी झूठी , पता भी न था ,
अब लाशों में हर इक अपना आएगा |

बात उसने भी मानी थी आखिर मगर ,
ये विभाजन दुर्भाग्य ही कहलायेगा |


आखिर तू बता 'हर्ष' ये शख्स कौन,
जुबां पे कैसे तू उसका नाम आएगा |

आज ज़श्ने आज़ादी और हिन्द की ज़मीं,
हर शख्स मोहब्बत में रंग लाएगा |

यूँ तो आज़ाद हम और आज़ाद वतन,
'हर्ष' जन्म-दिन तेरा सब जग आएगा |
.................१५ अगस्त...............

__________हर्ष महाजन

उनकी हसरतों को खूब समझा किये हैं हम

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उनकी हसरतों को खूब समझा किये हैं हम,
वो नादाँ हैं जो दिल को बेज़ार किये बैठें है |

ये दिल है दरियाओं की अब कमी नहीं इसमें ,
आओ तुम ज़रा तैरो तो इंतज़ार किये बैठे हैं |

_______________हर्ष महाजन

Monday, August 12, 2013

गद्दारों के देश में अब, खुद ही सब अवतार

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गद्दारों के देश में अब, खुद ही सब अवतार,
फौजी दस्ते लूटकर ,जहाँ बने सरकार |
जहाँ बने सरकार , साजिशें रोज़ बनायें,
भोली सी आवाम , सहे आतंकी सजाएं |
कहे ‘हर्ष’ दो पलट, देश के सभी खुद्दारों,
उठाओ जंगी तोप, दाग बोल के गद्दारों |

______________हर्ष महाजन

Sunday, August 11, 2013

पैंसठ इकहत्तर और कारगिल देश को गर अब याद नहीं


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पैंसठ इकहत्तर और कारगिल देश को गर अब याद नहीं,

होगा जग के मानचित्र पर फिर उस देश का नाम नहीं |

अबकी बार जो हुआ युद्ध तो , नया इतिहास बना देंगे,
उठेगा जो जो संग उसके , उसका भी निशाँ मिटा देंगे |

वीर शिवा की धरती पर न समझो कोई महाकाल नहीं,
हिन्दुस्तान की ताकत है, कोई खोखला महाजाल नहीं |


____________________हर्ष महाजन |


Saturday, August 10, 2013

जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर

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जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर
इक लुत्फ़ सा शामिल होता है फिर तन्हा -तनहा पीने में |

________________________हर्ष महाजन

Friday, August 9, 2013

यूँ मुहब्बत में गर तू भटक जाएगा

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यूँ मुहब्बत में गर तू भटक जाएगा,
आईना मेरे दिल का चटक जाएगा |

गर तू मेरा नहीं, खा न खौफ बता ,
मेरा दिल तेरी राहों से हट जाएगा |

हम-सफ़र तू मेरा यूँ न आँखें चुरा,
ठेस हल्की अभी तो सिमट जाएगा |

मैं गुज़र जाऊं पीछे तू पछताएगा,
जब आशिक जुबां से पलट जाएगा |

कैसे झेलेगा इश्क के गम की सजा,
मेरा पलपल इसी गम में कट जाएगा |

__________हर्ष महाजन

Thursday, August 8, 2013

मेरा ज़ख़्मी दिल है उदास बहुत दर्द कम है पर अहसास बहुत



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मेरा ज़ख़्मी दिल है उदास बहुत दर्द कम है पर अहसास बहुत |
मैं हुआ हूँ तन्हा तेरे बिना , पर मुझमें तेरे अल्फास बहुत |
है उम्मीद तुम कभी आओगे, फिर आ के मुझ को लौटाओगे ,
मेरे दिल का टुकडा जो खास था, मुझे आज भी है आस बहुत |

_____________________हर्ष महाजन

सरहद पे बैठ बेचते वो राजनितिक रोटियां

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सरहद पे बैठ बेचते वो राजनितिक रोटियां ,
आवाम कहाँ निभा सका ईद का हर पैगाम |
सदी से दिल मे प्यार है ओ ईद भरी है शाम,
डर इक उम्र से सालता कब उजड़े गुलफाम |

___________हर्ष महाजन

Wednesday, August 7, 2013

उसने मेरी आँखों में प्यार से समंदर पाला है

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उसने मेरी आँखों में प्यार से समंदर पाला है,
लहरें इस कदर तेज़ हैं बा-मुश्किल संभाला है |
ज़ख्मों में टीस इतनी कि बाँध फिर टूटेगा अब,
उस बे-वफ़ा ने जुदाई को अभी तक नहीं टाला है |

___________________हर्ष महाजन

ज़ख्मों से सीना मेरा छलनी हुआ जाता है 'हर्ष'

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ज़ख्मों से सीना मेरा छलनी हुआ जाता है 'हर्ष',
कम्बखत अब दर्द भी परेशान हैं कि कहाँ से उठूं |

_____________हर्ष महाजन

Tuesday, August 6, 2013

तेरी यादों में मेरे अश्क बिखर जाने दे

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तेरी यादों में मेरे अश्क बिखर जाने दे ,
छोड़ के दरिया समंदर में उतर जाने दे |
मेरे शेरों में रहे क़ैद सदा बन के ग़ज़ल ,
अभी तू आँखों से दिल का है सफ़र जाने दे |

__________हर्ष महाजन

Monday, August 5, 2013

तेरी खातिर मैं फलक से भी चला आऊँगा

सिर्फ एक अहसास

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तेरी खातिर मैं फलक से भी चला आऊँगा,
तेरी आँखों के समंदर में समा जाऊँगा |
तू जो चाहे ये दुनिया भी तुझ पे नाज़ करे,
तेरे हाथों की लकीरों मैं चला आऊँगा |

_________हर्ष महजान

कितना हासिल हैं मुझे प्यार के शब् से गुज़र जाऊं

...

कितना हासिल हैं मुझे प्यार के शब् से गुज़र जाऊं,
इतना मुझसे न तू कर प्यार के हद से गुज़र जाऊं |

_______________हर्ष महाजन

आज दिल ने कोई ऎसी ही शरारत की है

...

आज दिल ने कोई ऎसी ही शरारत की है ,
तुझे मिलने की इरादतन ये इबादत की है |
मैंने चाहा तेरे दिल पे मैं अपना नाम लिखूं ,
जाने फिर क्यूँ मेरे जज्बों ने बगावत की है |

______________हर्ष महाजन

Sunday, August 4, 2013

मुझको वो शौक कहाँ अब तेरी हद में जो नहीं

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मुझको वो शौक कहाँ अब तेरी हद में जो नहीं,
वो सितम तू ही बता दे मेरे खत में जो नहीं |
यूँ मोहब्बत में शहादत की इबादत मैं करूं,
मैं वो  राहों से परे हूँ , सरहद में जो नहीं |

______________हर्ष महाजन

आओ थोड़ी दुश्मनी कर लें

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आओ थोड़ी दुश्मनी कर लें,
चंद आंसू दामन में भर लें |
दोस्त जो आस्तीन में रहा,
आओ उसकी शहादत सर लें |

_______हर्ष महाजन

Saturday, August 3, 2013

शर्मिन्दा हूँ कि वो शख्स जाहिल निकला

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शर्मिन्दा हूँ कि वो शख्स जाहिल निकला,
महबूब था तेरा पर मेरा साहिल निकला |
सावन का उन्माद देखो दोस्ती के पर्व में
मैं खुद ही उसके दिल में दाखिल निकला |

_________________हर्ष महाजन

हम भी आशिक थे मगर टूटकर बेजान चले

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हम भी आशिक थे मगर टूटकर बेजान चले,
हमको तन्हा भी किया खुद भी परेशान चले |
इश्क आज़ाद हैं सावन की घटाओं की तरह,
तुमको बेवफा न कहे कोई हम शमशान चले |

_________________हर्ष महाजन

Thursday, August 1, 2013

काश हमारे पास भी मोहब्बत का समंदर होता

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काश हमारे पास भी मोहब्बत का समंदर होता,
फिर कोई शख्स हमारे भी दिल के अंदर होता |
खूब करता मैं तांडव अपने हसीन मुक़द्दर पर ,
और यकीनन आज मुक़द्दर का सिकंदर होता |

________________हर्ष महाजन