Wednesday, October 30, 2013

शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता

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शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता,
किसी पत्थर-नुमा दिल पे दो दस्तक तो नरम होता ।
किसी के दूर जाने से..............उम्मीदें टूट जाती हैं ,
पर वो आस भर दिल की उसी से इश्क़ चरम होता ।

_________________हर्ष महाजन

Monday, October 28, 2013

मोहब्बत की बेबाक रस्मों से अक्सर गुज़रा हुआ हूँ मैं


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मोहब्बत की बेबाक रस्मों से अक्सर गुज़रा हुआ हूँ मैं,
ज़िन्दगी इख्तियार में नहीं इसीलिए बिखरा हुआ हूँ मैं ।

__________________हर्ष महाजन

तुम्हारे तड़क इरादों से मेरा दिल धड़क सा जाता है

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तुम्हारे तड़क इरादों से मेरा दिल धड़क सा जाता है,
पर हक़ीक़त-ए-अंजाम पर फिर अटक सा जाता है ।
सुना है तुम परवाने हो पर जलना सीखा नहीं कभी,
वो दिल ही है बेबाक तुम्हारा जो लटक सा जाता है ।

______________________हर्ष महाजन

Sunday, October 27, 2013

मुझे चाहने वालों का क्या होगा मुझे अंदाज़ा तो नहीं है

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मुझे चाहने वालों का क्या होगा मुझे अंदाज़ा तो नहीं है ,
मगर मुझे चाहत अपनी मोहब्बत से है बस बे-इन्तहा ।

_______________________हर्ष महाजन

ज़रा सी बे-रुखी उनकी जान मेरी हथेली पर ले आती है

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ज़रा सी बे-रुखी उनकी जान मेरी हथेली पर ले आती है,
अफ़सोस है हम कब से खफा हैं, उन्हें मलाल तक नहीं ।
बे-इन्तहा प्यार किया है उनसे, मगर खाली हाथ ही हूँ,
अब इस बे-रुखी का शायद दुनियाँ में मिसाल तक नहीं ।

_______________________हर्ष महाजन

Friday, October 25, 2013

किस तरह हुस्न वालों की ज़मीं को मैं बंजर कह दूं

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किस तरह हुस्न वालों की ज़मीं को मैं बंजर कह दूं,
बहुत मेहनत की है इस पर प्रेम की फसल उगाने में ।

________________हर्ष महाजन

मोहतरमा ने अपने शहर की गलियों में पेड़ लगवा दिए

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मोहतरमा ने अपने शहर की गलियों में पेड़ लगवा दिए,
जहां-जहां उसके आशिक थे उन सभी के सर मुंडवा दिए ।

___________________हर्ष महाजन

Thursday, October 24, 2013

सुनहरी किरणें जब ख्वाबों में पड़ा करती हैं,

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सुनहरी किरणें जब ख्वाबों में पड़ा करती हैं,
फिर मुस्कानों के साथ आँखें खुला करती हैं ।

शुभ प्रभात

_____________हर्ष महाजन

किस तरह कहूँ वो बात जो तुझ में है दोस्त

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किस तरह कहूँ वो बात जो तुझ में है दोस्त ,
देख जिसे आँखों में शराब सी चढ़ जाती है । 

____________हर्ष महाजन

Wednesday, October 23, 2013

बुझे चिराग हो... बहुत धुंआ करते हो

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बुझे चिराग हो... बहुत धुंआ करते हो,
बसे हो दिल में अब क्यूँ जुदा करते हैं ।

___________हर्ष महाजन

वो लुटे मेरे प्यार में और हम लुटे उस यार में

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वो लुटे मेरे प्यार में और हम लुटे उस यार में,
संतोष फिर लुटते रहें चाहे मौत हो ऐतबार में ।

______________हर्ष महाजन

Tuesday, October 22, 2013

चाँद अब रात फलक में तो निकल आया है


चाँद अब रात फलक में तो निकल आया है,
पर तडपा के मेरे......... चाँद को सताया है ।
अब ज़रा देखो सितारों को... मुस्कराते हुए ,
मिल के दोनों ने वफाओं को आजमाया है ।

_____________हर्ष महाजन

Wednesday, October 16, 2013

मेरे दिल के दर्द मुझको खुद ही भूल गये

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मेरे दिल के दर्द मुझको खुद ही भूल गये,
बला है क्या ये इश्क़ सारे मेरे असूल गये |
किताब-ए-इश्क़ में था पढ़ लिया जो अपना नाम,

अंजाम सोच के क़फन ले हम भी झूल गये |

_________________हर्ष महाजन |

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Mere dil ke dard mujhko khud hi bhool gaye,
Balaa hai kya ye ishq saare mere asool gaye.
kitaab-e-ishq meiN tha padh liya jo apna naam,
anjaam soch ke qafan le ham bhi jhool gaye.

_____________________Harash Mahajan

Tuesday, October 15, 2013

गर तू कह दे कि तुझे मुझसे शिकायत ही नहीं

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गर तू कह दे कि तुझे मुझसे शिकायत ही नहीं,
ये तो खुद पे है तेरा ज़ुल्म पर इनायत तो नहीं |


__________________हर्ष महाजन 

तेरे लबों की तासीर नहीं निगाहों का सितम है,

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तेरे लबों की तासीर नहीं निगाहों का सितम है,
ये खुशी तो है तेरे दम से मगर बहुत कम है |


______________हर्ष महाजन

उठो कि आज मोहब्बत को तू पानी कर ले

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उठो कि आज मोहब्बत को तू पानी कर ले,
जो भी हासिल है तुझे अपनी कहानी कर ले |

_______________हर्ष महाजन

दिल की ज़मी तो बहुत है उनके पास मगर बंजर लिए घूमते हैं


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दिल की ज़मी तो बहुत है उनके पास मगर बंजर लिए घूमते हैं,
प्यार भी बहुत किया करते हैं मुझसे मगर खंज़र लिए घूमते हैं |


_________________________हर्ष महाजन

मैं मुहब्बतों में ज़बर का कायल नही हूँ

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मैं मुहब्बतों में ज़बर का कायल नही हूँ,
मुहब्बत तो करता हूँ पर घायल नहीं हूँ |

_______________हर्ष महाजन

Mein mohabbaton mein Zabar ka qayal nahin hooN.
Mohabbat to karta hooN par Ghayal nahiN hooN.

______________________Harash mahajan

Saturday, October 12, 2013

तेरे इश्क ने जो तूफ़ान मेरे अन्दर झेला होगा


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उनके इश्क ने जो तूफ़ान, मेरे अन्दर झेला होगा,
शायद ही कभी समंदर ने ऐसा मंज़र खेला होगा |

_______________हर्ष महाजन


कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल


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कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल,
ये तो खुदा का फज़ल समझो मेरा प्यार खुद ही संवर जाता है |

_____________________________हर्ष महाजन

Thursday, October 10, 2013

बे-सबब मोहब्बत का इज्र्हार होता गया

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बे-सबब मोहब्बत का इज्र्हार होता गया,
दूरियां बढती गईं दिल मगर खोता गया |
क्या कहूँ खामोशियाँ यूँ ज़िंदगी पे तारी हैं,
दिन में हुए ज़श्न बहुत रातों को रोता गया |

___________हर्ष महाजन

Sunday, October 6, 2013

मेरी रहमतें मेरा जूनून सिर्फ एक शख्स पर तमाम होता है


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मेरी रहमतें मेरा जूनून सिर्फ एक शख्स पर तमाम होता है,
मैं तनहा हूँ इस तन्हाई में मुझे ये सब बहुत आराम देता है |

________________________हर्ष महाजन

Saturday, October 5, 2013

तसल्ली अब कर लेता हूँ तुझे यूँ उदास देखकर


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तसल्ली अब कर लेता हूँ तुझे यूँ उदास देखकर,
देख लेती हो मेरे ज़ख्म जिस्मी लिबास देखकर| 

__________________हर्ष महाजन

चाहूँ तो निगाहों से पी लूं जिसपे हो नाज़ नशे-मन


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चाहूँ तो निगाहों से पी लूं जिसपे हो नाज़ नशे-मन का,
पर है तकदीर में साहिल वो, करे जो राज़ मेरे तन का |
जहाँ फूल खिले है दिलभर का वो चमन सदा आबाद रहे, 
ये खेल नहीं अल्फासों का मैं शायर 'हर्ष' हूँ तन-मन का |

________________________हर्ष महाजन

किस तरह रोकूँ आज मैं मरहला उसके शबाब


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किस तरह रोकूँ आज मैं मरहला उसके शबाब का, 
कह दो उसे ज़रा प्यार का इज्र्हार कर लिया जाए |

________________हर्ष महाजन