Saturday, November 9, 2013

बरसों किया है इंतज़ार अब अहसास भी कुड़ने लगे हैं



बरसों किया है इंतज़ार अब अहसास भी कुड़ने लगे हैं ,
मुन्तजिर फूल अब सूख कर मेरी कब्र से उड़ने लगे हैं ।
ख्वाब तो आँखों से पहले ही चुरा लिए थे किसी ने 'हर्ष',
अब तो अश्क़ मेरे दिन पर दिन अश्क़ों से जुड़ने लगे हैं ।

________________हर्ष महाजन ।

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