Tuesday, June 24, 2014

मेरे गुलिस्तान में खिलने को तो फूल बहुत

पुरानी डायरी से ......

मेरे गुलिस्तान में खिलने को तो फूल बहुत हैं,
कोई फूल तुझ सा भी हो.....तो कोई बात बने |

_________हर्ष महाजन

खुद पे ज़बर यूँ करके मुहब्बत का दम मैं भरता हूँ


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खुद पे ज़बर यूँ करके मुहब्बत का दम मैं भरता हूँ,
कैसी बेबसी मेरी.........बे-वफ़ा में रंग मैं भरता हूँ |
लाइलाज दर्द-ए-इश्क है....लाइलाज इसका है जुनूं,
तनहा सी ज़िंदगी को अब...अश्कों संग मैं भरता हूँ |

________________हर्ष महाजन




Khud pe zabar yuN karke muhabbat ka dam maiN bharta huN,
Kaisi hai bebasi merii.....be-wafa meiN rang maiN bharta huN.
La-ilaaj dard-e-ishq ha......................... la-ilaaj iska hai junooN,
Tanha sii zindagii ko ab.............ashqoN sang maiN bharta huN.

Sunday, June 22, 2014

चलो ईमान अपना....आजमा कर देखते हैं

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चलो ईमान अपना....आजमा कर देखते हैं,
हम अकेले हैं....बत्तियाँ बुझा कर देखते हैं |
लोग तो कहते हैं तुम चौहदवीं  का चाँद हो,
चलो रात तुम्हें चाँद से मिला कर देखते हैं |

_____________हर्ष महाजन

Saturday, June 21, 2014

सैकड़ों अयियाश ज़मीं पर चलने लगे हैं

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सैकड़ों अयियाश....ज़मीं पर चलने लगे हैं,
कुछ दोस्त भी हैं...उनमें जो खलने लगे हैं |
खौफज़दा हो गया है हर तसव्वुर अब यहाँ,
बेबसी इतनी......हौंसिले भी छलने लगे हैं |



______________हर्ष महाजन

फूँक-फूँक कर कदम रखना मेरी आदत में शुमार था

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फूँक-फूँक कर कदम रखना मेरी आदत में शुमार था,
मैं बस फूंकता ही रहा वो कम्बखत आगे निकल गया |
________________हर्ष महाजन

Friday, June 20, 2014

गर ये गजलें मेरी हो गयीं बहर में, दोस्त बनकर खुदा मुस्कराएगा फिर

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गर ये गजलें मेरी हो गयीं बहर में, दोस्त बनकर खुदा मुस्कराएगा फिर,
गर वो है बादशाह मेरी तकदीर का, पत्थरों से निकल के वो आएगा फिर |

मेरी तनहाईयों का सबब भी था वो, मेरी तहरीरों का हर लफ़ज़ भी था वो,
जो भी दिल पे मेरे हैं निशाँ ज़ख्मों के, हर निशाँ खुद सितम बतलायेगा फिर |

जब हुआ यूँ कतल मेरे अरमानों का, बिछुड़ा साहिल लगा मुझको अंगारों सा,
मेरे हमराज़ हैं राज़ो से तर ब तर, डर है राज़ो को अब गुनगुनाएगा फिर |

मेरा किरदार मुझी से खफा हो चला, ज़िंदगी से लगे बे-वफ़ा हो चला,
कुछ थीं नाकामियाँ दिल की तन्हाइयां, जाने दर मेरा कब खटखटाएगा फिर |

कुछ तु कर ले लिहाज़ मेरे साहिल मेरा, कुछ दिनों तक तो था हमसफ़र मैं तेरा,
|खुदकशी न तू लिख, क़त्ल कर दे मेरा, जाने तुझ सा कोई कब सताएगा फिर |

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___हर्ष महाजन

Gar ye GhazleiN meri ho gayiN baher meiN, dost bankar khuda muskuraayega phir,
Gar wo hai badshah merii takdeer ka,PatthroN se nikal ke wo aayega phir.

Meri tanhaaiiyoN ka sabab bhi tha wo, merii tahreeroN ka har lafaz bhi tha wo,
Jo bhi dil pe mere haiN nishaaN zakhmoN ke, har nishaaN khud sitam batlayega phir.

Jab hua yuN katal mere armaanoN ka, bichudaa saahil lagaa mujhko angaroN sa,
Mere hamraaz haiN raazo se tar b tar, dar hai raazoN ko ab gungunayega phir.

Mera kirdaar mujhi se khafaa ho chalaa,zindagii se lage be-wafa ho chalaa,
Kuchh thi naakaamiyaaN dil ki tanhaaiyaaN, jaane dar mera kab khatkhatatega phir.

Kuchh tu kar ligaaz mere saahil mera, kuchh diloN tak to tha hamsafar maiN tera,
Khudkashi na tu likh,katal kar de mera, jaane tujh sa koii kab sataayega phir.

Wednesday, June 18, 2014

दरमियाँ आँखों के जब दुनियाँ जवाँ होती है

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दरमियाँ आँखों के जब......दुनियाँ जवाँ होती है,
पर ये उल्फत है जो.......लफ़्ज़ों में बयाँ होती हैं |


ये जुबां आँखों की,नफरत की जगह ले ले अगर,
फिर ये ज़ुल्मत तो.....फिजाओं में अयाँ होती है |


जब भी आँखों में नमीं.....का ही समां रहने लगे,
दिल में कोई ज़ख्म.....मुहब्बत भी वहाँ होती है |


जब भी आँखों से टपकते......कभी हिज़्र के आंसू ,
फिर यकीनन कोई............तस्वीर जवाँ होती है | 


हमने भी आँखों को...पढने का हुनर सीख लिया,
हर अदा इनकी............निराली ही जुबां होती है |


________________हर्ष महाजन

Tuesday, June 17, 2014

जिसे चाहा पर वो मिला नहीं,मुझे वक़्त से भी गिला नहीं

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जिसे चाहा पर वो मिला नहीं,मुझे वक़्त से भी गिला नहीं |
ये कैसा हुस्न-ओ-मिजाज़ था,जो अश्कों तक से हिला नहीं |
न था ज़र्ब उसको मैं पा सकूं ,न था खोने का मुझे हौंसिला,
कोई शख्स उसको मिला सके अभी तक वो शख्स मिला नहीं |

____________________हर्ष महाजन

Monday, June 16, 2014

यूँ दिल-ओ-जहाँ से गुज़र गया

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यूँ दिल-ओ-जहाँ से.....गुज़र गया,
वो ख्यालों से ही..........उतर गया |
था जिस्म-ओ-जाँ की तलब में जो ,
अब बातों से भी........ज़िकर गया |



________हर्ष महाजन

Saturday, June 14, 2014

मिले जो तुम तो ये पर्दा ज़हन से सरका है


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मिले जो तुम तो ये पर्दा...ज़हन से सरका है,
लगा ज्यूँ सदियों बाद ये दिल मेरा धड़का है |
संभालो बाँध शहर के....लहर से टूट न जाएँ,
कि मेरी आँखों से अब तनहा प्यार छलका है |

___________हर्ष महाजन


Mile jo tum to ye parda................zahan se sarka hai,
lagaa jyuN sadiyoN baad......ye dil mera dhadka hai.
Sambhalo baandh shahar ke laher se toot na jaayeN,
Ki meri aankhoN se.......ab tanhaa pyaar chhalka hai.

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Friday, June 13, 2014

लोग तो खुशियाँ और.... इमदाद बाँटते हैं

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लोग तो खुशियाँ और.... इमदाद बाँटते हैं,
हम तो कवि हैं....गम में भी दाद बाँटते हैं |
ज़रूरी नहीं कि......मौत पर रोया ही जाए,
हम ग़ज़लों में अश्कों का सैलाब बाँटते हैं |
________हर्ष महाजन

Thursday, June 12, 2014

गर उन्हें याद नहीं ख़त में क्यूँ ‘हम’ लिखते हैं


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गर उन्हें इल्म नहीं, ख़त में क्यूँ, ‘हम’ लिखते हैं,
वो यूँ  कहते हैं कि....मज़मून-ए-गम लिखते हैं |
उनसे दूरी का उन्हें........गम नहीं, कहा उसने,
बस ज़रा ख़त में उन्हें, आँख हैं नम, लिखते हैं |

______________हर्ष महाजन  

Wednesday, June 11, 2014

छोटी सी ये रियासत.....दोस्तों की महफ़िल


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छोटी सी ये रियासत.....दोस्तों की महफ़िल,
दोस्तों की अमानत......दोस्तों की महफ़िल |
देखकर रखना कदम सल्तनत आम नहीं ये ,
दोस्त ही हैं ज़मानत.....दोस्तों की महफ़िल |


____________हर्ष महाजन


Chhoti sii ye riyaasat.......... dostoN kii mehfil,
DostoN kii amaanat.............dostoN kii mehfil.
Dekhkar rakhna kadam saltnat aam nahiN ye,
Dost hi hai zamanat...........dostoN kii mehfil.

________________Harash Mahajan

Monday, June 9, 2014

खुदाया तेरे जहाँ में ये हल नहीं मिलता

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खुदाया तेरे जहाँ में.............ये हल नहीं मिलता,
जो पल गुज़र गया ज़िन्द से वो पल नहीं मिलता |
जो बेटे अश्क बहा कर के..........माँ को छलते हैं,
पर माँ के अश्कों में कोई....भी छल नहीं मिलता |

_____________हर्ष महाजन

दिल से निकलें जो भी अहसास....मेरी ग़ज़लों में हैं

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दिल से निकलें जो भी अहसास....मेरी ग़ज़लों में हैं,
मेरी ख्वाहिशें मेरे जज़्बात..........मेरी ग़ज़लों में हैं |

जो भी खुशियाँ और गम भी मुझे ज़िन्द में थे मिले,,
सब हकीकत में मेरे राज़............मेरी ग़ज़लों में हैं |

इतना तडपा हूँ मैं लेकिन ये आखें.....तर नहीं होती ,
जो कुछ गुजरा सभी अल्फाज़......मेरी ग़ज़लों में
हैं |

काश अब दिल की सदाओं में, असर इतना हो जाए,
किसको हमसफ़र के मिलें ताज...मेरी ग़ज़लों में
हैं |

जिगर होता है छलनी आँख से जब सपने छिन जाएँ,
जो रोये थे दिलों के साज़................मेरी ग़ज़लों में
हैं |

________________हर्ष महाजन

Sunday, June 8, 2014

तेरी जुल्फों की अदाओं ने, मुझे गूंध लिया

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तेरी जुल्फों की अदाओं ने, मुझे गूंध लिया,
तूने लहरा के इन्हें फिर से जहां लूट लिया |
जब तू इतरा के इन्हें...करती चेहरे से जुदा,
मैं धरातल पे गिरा हूँ ज्यूँ है इक घूँट लिया | 


._____________हर्ष महाजन

वो शाम और वो जुल्फें मुझे खूब याद आयें

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वो शाम और वो जुल्फें, मुझे खूब याद आयें,
नींदों में है खलिश सी कह दो की बाज़ आयें |
मेरे लफ्ज़ मेरी ग़ज़लें...अब हुस्न से हैं तारी,
कर तू सिंगार इतना......देने को ताज आयें |

_____________हर्ष महाजन

थी उसकी रंजिशें तो हमने यार छोड़ दिया

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थी उसकी रंजिशें तो.....हमने यार छोड़ दिया,
गरज भी उसकी मगर हमने प्यार छोड़ दिया |

गज़ब की थीं नसीहतें.....जो तनहा कर गयीं,
जिसे था छोड़ा उसने.......ऐतबार छोड़ दिया |

गुमाँ था ये की शख्स, वो खुदा से कम न था,
अना भी इस कदर, खुदा ने द्वार छोड़ दिया |

न जाने कैसे ये गुनाह........हमने कर लिया,
हौले-हौले तनहा कर........बीमार छोड़ दिया |

_____________हर्ष महाजन

Friday, June 6, 2014

ये नसीबों का है सिलसिला...किसी कब्र पर बने ताजमहल

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ये नसीबों का है सिलसिला...किसी कब्र पर बने ताजमहल,
कई बदनसीब इस जहाँ में हैं न दफ़न मिले न मिले कफन |
______________हर्ष महाजन

Wednesday, June 4, 2014

बिखरे रिश्तों की दरारें अब मिटाऊं कैसे

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बिखरे रिश्तों की दरारें अब मिटाऊं कैसे,
मोम के रिश्ते.....गर्मियों से बचाऊँ कैसे |
इतना घुला है ज़हर उसके जहन में 'हर्ष',
अपने हाथों की लकीरें उसे दिखाऊँ कैसे |

_________हर्ष महाजन

कितनी यादें कितने धागे कितने रिश्ते तोड़े

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कितनी यादें कितने धागे कितने रिश्ते तोड़े,
बहुत शातिर है ज़हर की इतनी किश्तें छोड़े |


___________हर्ष महाजन

चारों पहर उसकी तस्वीरों में हर्ज़ किया करता हूँ

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चारों पहर उसकी...........तस्वीरों में हर्ज़ किया करता हूँ,
फिर वरक वरक उसे तहरीरों में.......दर्ज किया करता हूँ |
किस तरह खारिज होंगे उसके ख्वाब, अब मेरी आँखों से,
अब दर्द उसका अपनी...तकदीरों में मर्ज़ किया करता हूँ |


_________________हर्ष महाजन

Tuesday, June 3, 2014

इस इब्तेदायी माहौल में,मेरा सियासतों से सवाल

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इस इब्तेदायी माहौल में...........मेरा सियासतों से सवाल है,
क्या गुज़र रही है आवाम पर, क्या उन्हें भी इसका मलाल है |
कुछ ख्वाहीशें थीं,कुछ खुशियाँ भी,कुछ वलवले कुछ वादे भी,
बस सब हवा सा गुज़र गया.......क्या ये काफिला बदहाल है |



___________________हर्ष महाजन

कितना बदनसीब सफ़र ज़िन्दगी की राहों में

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कितना बदनसीब सफ़र ज़िन्दगी की राहों में,
जो भी चाहा था हुआ.........दरकिनार बातों में ।
जाने क्यों तोड़ दिया....रिश्ता गैर की खातिर,
जिसके दम पर थे चले....कर चले सलाखों में ।

-------------हर्ष महाजन

Sunday, June 1, 2014

कैसे शिकवे हैं तेरे कैसे इरादे तेरे

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कैसे शिकवे हैं तेरे...........कैसे इरादे तेरे ,
मेरी शायरी है यहाँ........और हैं वादे तेरे |
कैसा हूँ अपना मैं गैरों सा यहाँ लगता हूँ,
कौन दुश्मन है यहाँ.......कौन बतादे तेरे | 

___________हर्ष महाजन

इस कदर हमने किया...तुझसे प्यार ऐ साकी

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इस कदर हमने किया...तुझसे प्यार ऐ साकी,
जिस तरह गम में चलें जाम-ए-यार ऐ साकी |
जब तलक होता नहीं दिल की चाहत का ज़िक्र,
किस तरह उबले गा दिल का गुबार ऐ साकी |

______________हर्ष महाजन

गर तुम हो तो मेरी आहों में नज़र आओगी

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गर तुम हो तो मेरी....आहों में नज़र आओगी,
मेरी आँखों से बन के....अश्क उतर आओगी ।
बेवफायी का सबब.....जब भी नज़र आएगा,
मेरी ग़ज़लों में खुद ही बन के असर आओगी ।

---------------हर्ष महाजन