Tuesday, September 30, 2014

कितनी मुद्दत बाद उतरे हैं तहल्कते शब्द तेरी कलम से

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कितनी मुद्दत बाद उतरे हैं तहल्कते शब्द तेरी कलम से,
मगर जब भी निकलते हैं 'हर्ष' दिल को हिला के रखते हैं |

________________________हर्ष महाजन

Monday, September 22, 2014

ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे नेता खुद बर्बाद करें




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बैंक कर्मर्चारियों की त्रासदी
ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे......नेता खुद बर्बाद करें,
इतिहास के पन्नों पर लिखें......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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दसवें वेतन मान पे देखो............दो-दो वर्ष संवाद चले ,
रहे बन मोनी बाबा वो जन-जन फिर भी थे साथ चले |
भूल गए अब सहनशीलता......खुद की पारी नाबाद करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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सिंहासन जब हिलने लगे ....नेता गण सब अवसाद करें,
छोड़ के वेतन सरकारी वो.....द्विपक्षी की बस बात करें |
कोई उठे जन करें ट्रान्सफर मिलकर सब फिर घात करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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आओ साथियो मैदानों में.....भर दो कण-कण खाली जो,
जोशीले नारों से हिला दो.........भ्रष्टाचार के सवाली जो |
कह दो इन्हें अब छोड़ें जिद्द यूँ....वेतन पर न बवाल करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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हाथ में चूड़ी पहन के अब तुम वक्त का न इंतज़ार करो,
उठो जंग में संग चलो.........हर जन वेतन की बात करो |
मिले जो नेता टूट पड़ो जो.......वेतन के इलावा बात करे,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे.......नेता खुद बर्बाद करें,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
__________________हर्ष महाजन

उठो साथियो दर्द तो अपना वक़्त से हम मिटा देंगे

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उठो साथियो दर्द तो अपना वक़्त से हम मिटा देंगे,
मगर ज़िन्द से गद्दारों का..नाम-ओ-निशाँ हटा देंगे |


__________________हर्ष महाजन |

उठो तान लो बगलों से तुम ऊंचे तरकश बाणों से

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उठो तान लो बगलों से तुम ऊंचे तरकश बाणों से,
नहीं अगर कुछ कर सकते तुम नारे दो मकानों से |


___________________हर्ष महाजन |

Tuesday, September 16, 2014

तजुर्बा है नया घाटी में,यूँ सैलाब आने का

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तजुर्बा है नया घाटी में.............यूँ सैलाब आने का,
यहाँ देखो जिगर किसका , बताओ कहर बचाने का |
लहू के रंग से इतिहास में...........संग्राम लिख देंगे,
कोई दुश्मन उठा गर शौक़ उसे इतिहास बनाने का |
__________हर्ष महाजन


Tazurba hai naya ghati meiN.........yuN sailaab aane ka,
YahaN Dekho Jigar kiska.......batao kaher bachaane ka.
Lahu ke Rang se itihaas meiN.....sangraam likh deNge,
Koii Dushman utha gar shouk usey itihaas banaane ka.


_____________________ Harash Mahajan

Wednesday, September 10, 2014

इस तरह खुद को...दरकिनार कर लिया उसने

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इस तरह खुद को..दरकिनार कर लिया उसने,
प्यार का सौदा.......बे-शुमार कर लिया उसने |
कुछ अफ़साने यूँ......उछले लोगों की जुबां पर,
लफ्ज़ महोब्बत का तार-तार कर लिया उसने |
______________हर्ष महाजन

Friday, September 5, 2014

अब तक जो मुझसे जुड़ा था पल, इतिहास बन के निकल गया

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अब तक जो मुझसे जुड़ा था पल, इतिहास बन के निकल गया ,
मुझे डर है मुझको भुला न दे........हर शख्स लगता बदल गया |
किस तरह टलेगा ये सिलसिला.....किस तरह दीया रौशन करूँ,
कभी ज़िंदगी जो हुआ किया, अब ख्वाहीशों से भी निकल गया |


______________________हर्ष महाजन