Monday, September 22, 2014

ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे नेता खुद बर्बाद करें




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बैंक कर्मर्चारियों की त्रासदी
ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे......नेता खुद बर्बाद करें,
इतिहास के पन्नों पर लिखें......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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दसवें वेतन मान पे देखो............दो-दो वर्ष संवाद चले ,
रहे बन मोनी बाबा वो जन-जन फिर भी थे साथ चले |
भूल गए अब सहनशीलता......खुद की पारी नाबाद करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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सिंहासन जब हिलने लगे ....नेता गण सब अवसाद करें,
छोड़ के वेतन सरकारी वो.....द्विपक्षी की बस बात करें |
कोई उठे जन करें ट्रान्सफर मिलकर सब फिर घात करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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आओ साथियो मैदानों में.....भर दो कण-कण खाली जो,
जोशीले नारों से हिला दो.........भ्रष्टाचार के सवाली जो |
कह दो इन्हें अब छोड़ें जिद्द यूँ....वेतन पर न बवाल करें ,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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हाथ में चूड़ी पहन के अब तुम वक्त का न इंतज़ार करो,
उठो जंग में संग चलो.........हर जन वेतन की बात करो |
मिले जो नेता टूट पड़ो जो.......वेतन के इलावा बात करे,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
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ऐसी कोई संघ देखी नहीं जिसे.......नेता खुद बर्बाद करें,
इतिहास के पन्नों पर लिखें.......ज्यूँ फांसी जल्लाद करे |
__________________हर्ष महाजन

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