Monday, February 16, 2015

कतरा-कतरा खुद को लोगों में झोंक दिया उसने

...

कतरा-कतरा खुद को लोगों में झोंक दिया उसने,
गफलत में शायद छुरा पीठ में घोंप दिया उसने |

सब कुछ बदल देंगे इस बार फिर से कहा उसने,
निशाँ-ए-कब्र पर फतवा खुद ही ठोक दिया उसने |

फिक्र तो है आँखों में और दर्द भी खूब है उनमें,
मगर तड़का परायी हांडी में छोंक दिया उसने |

ये मर्ज़ भी खूब है ये इश्क-ए-राजनिति का ‘हर्ष’,
देश की उन्नति को राह में ही रोक दिया उसने |

तीर निकल चुका है वापिस तो नहीं आने वाला,
‘आस्तीन का सांप’ खुद बनकर सौंप दिया उसने,

बिखर रहे हैं कांच ही कांच घर-घर में आजकल,
खफा है शख्स खुद क्यूँ ‘आप’ को वोट दिया उसने |

ये वकालत नहीं मगर इक आईना है भविष्य का,
देश की धाराओं पर कहाँ-कहाँ चोट दिया उसने |

देश द्रोही न कहें तो क्या कहें उस शख्स को ‘हर्ष’,
अक्ल-ओ-ईमान गैर मुल्क को सौंप दिया उसने |

_______________हर्ष महाजन

Wednesday, February 11, 2015

कुछ तू भाषण पे राशन अब करता अगर

...

कुछ तू भाषण पे राशन अब करता अगर,
कुछ तू कांग्रेस का शासन बदलता मगर ।

कब तलक सिर्फ वादों पे टिकते सभी,
कुछ तो जनता की आँखों को आता नज़र ।

तुझको सूरज समझ दे दिया सब फलक,
तूने समझा न जनता का दिल न जिगर ।

जनसंघ से जो जुदा न हुआ 'हर्ष' कभी,
भाजपा बन हिलाया जिगर अब मगर ।

जिस तरह  बैंकर्स को नज़र अंदाज़ किया ,
बैंकर्स ने किया तुझको यूँ दर बदर ।

देश हित के लिए तूने बहुत है किया,
पर तू जनता की भूला गालियां ओ डगर ।

ये तो जनता है दिल में रखे तब तलक,
जब तलक जो बनेगा उन्हीं का शज़र।

तू तो मोदी था मोदी बना ही रहा,
न ली ज़ख्मों की न ली दिलों की खबर ।

-----------------------हर्ष महाजन

शेर के पाँव में कोई काँटा चुभे

...

शेर के पाँव में गर कोई काँटा चुबे,
जंगलों में क्या कोई ओर राज करे ।

इतना तो मुहब्बत में दम है अभी,
अपने घर के गिला यूँ ही आज करे ।

इस तरह से किया भाजपा ने सफ़र.
ये राज मोदी का हो 'आप' काज करे ।

बिजली पानी की दौलत से हो रूबरू,
ऐसी दरकार थी कोई जां-बाज़ करे ।

यूँ बहुत है सफ़र भाजपा का अभी,
छोटी छोटी रियासत बे-ताज करे ।

इल्तिजा इस आवाम से जन-जन की है,
कुछ देश हित में खुद को भी साज़ करे ।

-------------------हर्ष महाजन

दरकार=जरूरत

Monday, February 2, 2015

दिल के साज़ को कभी यूँ भी साफ़ कर लिया कीजिये

...

दिल के साज़ को कभी यूँ भी साफ़ कर लिया कीजिये,
इश्क करो खुदा से इस तरह माफ़ कर लिया कीजिये |
कुछ हम नहीं कुछ सवाल भी तो खुद्दार हुआ करते हैं,
कब क्यूँ और कहाँ ये खुद इन्साफ कर लिया कीजिये |

_____________हर्ष महाजन

कुछ इस तरह तेरे दामन में अब गिरना चाहता हूँ

...

कुछ इस तरह तेरे दामन में अब गिरना चाहता हूँ,
तेरा आंसू हूँ बाहर आकर तुझ से मिलना चाहता हूँ ।

-------------------------हर्ष महाजन

Kuch is tara tere daaman me ab girna chahta hun
Tera aansu hun bahar aakar tujh se milna chahta hun.

-----------------------------Harash Mahajan

कब तलक तुम यूँ ही परदे में रखोगे खुद को

....

कब तलक तुम यूँ ही परदे में रखोगे खुद को,
इक कली हूँ बस तेरे लिए खिलना चाहती हूँ ।

----------------------हर्ष महाजन

Kab talak yun hi parde mein rakhoge khud ko
Ik kali hun bas tere liye khilna chahti huN.

-----------------------------Harash Mahajan

घर का नक्शा किसने बिगाड़ दिया

...
घर का नक्शा किसने बिगाड़ दिया,
अपना घर खुद हमने उजाड़ दिया |
.
न दिलों में गुंजाइश न प्यार में दम,
रिश्ता जड़ से शायद उखाड़ दिया |

कौन बिछा गया आँगन में काटें,
बहारों को आने से पछाड़ दिया |

ज़िंदगी ने क्यूँ कर ली करवट यूँ,
रिश्तों का हर सफा ही फाड़ दिया |

दर्पण टूट कर बिखर गया है अब,
हर टुकड़े ने शक्ल को बिगाड़ दिया |


_________हर्ष महाजन

कुछ रिश्ते तू ही संवार दे

...
कुछ रिश्ते तू ही संवार दे,
हूँ ज़ख्मी तू ही करार दे |
.
जिन रिश्तों पे कभी नाज़ था,
ऐ खुदा तू उनको निखार दे |

है अना की कीमत इतनी क्या ?
जो फलक, धरा पे उतार दे |

है इल्तिजा किसी शाम को,
तू अपना प्यार बेशुमार दे |

इक दूजे को हों अज़ीज़ सब,
कुछ ऐसा सबको हिसार दे |

अत हद हुई है कदम-कदम,
तू ही इम्तिहान से गुज़ार दे |

जिसे इल्म न था पर लुट गया,
ऐ खुदा अब इतना प्यार दे |


_______हर्ष महाजन


हिसार = power to bear
धरा = ज़मीं

Sunday, February 1, 2015

जब कभी अहसास बन टपक पड़े, मुझ जैसा कोई आंसू

...

जब कभी अहसास बन टपक पड़े, मुझ जैसा कोई आंसू,
थाम लेना तुम उसे अपने दामन में, कहीं बिखर न जाए |


___________________हर्ष महाजन

यूँ तो सारा जहाँ मुझ पर मेहरबान रहा

...

यूँ तो सारा जहाँ मुझ पर मेहरबान रहा,
और जो तुमने मेरे हक में फैसला दिया | 

_____________हर्ष महाजन

तुम से मिलकर आज ये अहसास हुआ है

...

तुम से मिलकर आज ये अहसास हुआ है,
अभी दुनियां में करने को कुछ और भी है |

________________हर्ष महाजन