इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
Saturday, May 30, 2015
Wednesday, May 27, 2015
आइये आज समंदर को बदल डालें
...
आइये आज समंदर को बदल डालें ,
मेरे कुछ शेर हैं उनमें वज़न डालें |
मगर बदलूं कैसे बदनसीब मुक़द्दर,
चलो हाथ की लकीरों में खलल डालें |
मेरे कुछ शेर हैं उनमें वज़न डालें |
मगर बदलूं कैसे बदनसीब मुक़द्दर,
चलो हाथ की लकीरों में खलल डालें |
_____________हर्ष महाजन
जहाँ में बे-वफाई का वफ़ा पर.........जोर है बे-पनाह
...
जहाँ में बे-वफाई का वफ़ा पर........जोर है बे-पनाह ,
मगर रंज है मुझे इस बात का ये करम सभी ने किया |
-
____________हर्ष महाजन
जहाँ में बे-वफाई का वफ़ा पर........जोर है बे-पनाह ,
मगर रंज है मुझे इस बात का ये करम सभी ने किया |
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____________हर्ष महाजन
Tuesday, May 26, 2015
है कोई शख्स कहीं जिसको इंतज़ार तेरा
नज़्म
__________रोमिल___________
__________रोमिल___________
है कोई शख्स कहीं जिसको इंतज़ार तेरा,
वो चाँद देख के करता है याद प्यार तेरा |
.
हैरान खुदा ने तुझे किस तरह उतार दिया,
जो पूछा उसने कहा उसपे था उधार तेरा |
.
अगर जो दिल से कहूं शायरी का मूड नहीं,
फकत जन्म पे सभी को है इंतज़ार तेरा |
.
ये महफ़िलें हैं सजी हर शमा पे शेर चला,
मुबारर्कों में उठा फिर नाम बार-बार तेरा |
.
रहे तू दिल में सदा जिसकी तू अमानत है,
गुलाब बनके चले हमसफ़र फिर हार तेरा |
वो चाँद देख के करता है याद प्यार तेरा |
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हैरान खुदा ने तुझे किस तरह उतार दिया,
जो पूछा उसने कहा उसपे था उधार तेरा |
.
अगर जो दिल से कहूं शायरी का मूड नहीं,
फकत जन्म पे सभी को है इंतज़ार तेरा |
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ये महफ़िलें हैं सजी हर शमा पे शेर चला,
मुबारर्कों में उठा फिर नाम बार-बार तेरा |
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रहे तू दिल में सदा जिसकी तू अमानत है,
गुलाब बनके चले हमसफ़र फिर हार तेरा |
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जन्म-दिन मुबारक----जन्म-दिन मुबारक
हर्ष महाजन
जन्म-दिन मुबारक----जन्म-दिन मुबारक
हर्ष महाजन
कुछ तो गम मुझ को करीने से सजा लेने दो
...
कुछ तो गम मुझ को करीने से सजा लेने दो,
कुछ जो पलकों में हैं शबनम का मजा लेने दो |
,
चाँद छुओगे तो लगता है वो रेशाम की तरह,
पर ज़ख्म इतने मिले दिल को क़ज़ा लेने दो |
कुछ जो पलकों में हैं शबनम का मजा लेने दो |
,
चाँद छुओगे तो लगता है वो रेशाम की तरह,
पर ज़ख्म इतने मिले दिल को क़ज़ा लेने दो |
______________हर्ष महाजन
Sunday, May 24, 2015
तुझे खुशियाँ मुबारक सब..मगर तू दे दुआ उसको
मीनल और रिद्धू
----जन्म दिन मुबारक -----
तुझे खुशियाँ मुबारक सब..मगर तू दे दुआ उसको ,
खुदा हर साल मुहब्बत से...तेरा दामन सजाता है |
खुदा हर साल मुहब्बत से...तेरा दामन सजाता है |
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जन्म दिन हौंसिले का है, सजा ले खुद को फूलों से,
खुदा खुद ही फलक से तोड़ कर तेरे ख्वाब लाता है |
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दुआ मेरी भी उससे है तुझे अब से कोई गम न हों ,
रहें न रहें यहाँ हम भी, चलन खुद ही समझाता है |
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जन्म दिन आज तेरा हमको दिल से खूब सुहाता है,
तेरे संग संग मेरे रग रग में खुशियाँ खूब चलाता है |
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कभी रूठा नहीं करते कभी सजदा नहीं करते
कभी तो खुद खुदा भी आसमां को भूल जाता है |
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जन्म-दिन मुबारक - जन्म-दिन मुबारक
खुदा खुद ही फलक से तोड़ कर तेरे ख्वाब लाता है |
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दुआ मेरी भी उससे है तुझे अब से कोई गम न हों ,
रहें न रहें यहाँ हम भी, चलन खुद ही समझाता है |
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जन्म दिन आज तेरा हमको दिल से खूब सुहाता है,
तेरे संग संग मेरे रग रग में खुशियाँ खूब चलाता है |
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कभी रूठा नहीं करते कभी सजदा नहीं करते
कभी तो खुद खुदा भी आसमां को भूल जाता है |
>
जन्म-दिन मुबारक - जन्म-दिन मुबारक
यूँ न उलझो मेरी जुल्फ से ओ सनम
...
यूँ न उलझो मेरी जुल्फ से ओ सनम, पेच-ओ-ख़म फिर न इनके सुलझ पायेंगे,
गर न समझोगे फिर धडकनों की जुबां, दिल से दिल फिर कहाँ ये उलझ पायेंगे |
गर न समझोगे फिर धडकनों की जुबां, दिल से दिल फिर कहाँ ये उलझ पायेंगे |
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यूँ ही क़दमों पे धड़कन बिछाओ न तुम, कुछ शिकन माथे पर हैं हटाओ न तुम ,
अब बना हिन्दू, मुस्लिम ये सूरज जहां, वो कहाँ इन गुलों को समझ पायेंगे |
_______________________हर्ष महाजन
अब बना हिन्दू, मुस्लिम ये सूरज जहां, वो कहाँ इन गुलों को समझ पायेंगे |
_______________________हर्ष महाजन
Saturday, May 23, 2015
गर जुल्फी सायों में सर नहीं, शेरों में फिर वो असर नहीं
चंद लम्हें पहले एक मुक्तक नज़र किया था आपके .....उस पर कुछ ख़त मिले थे ,
अब उसी मुक्तक में कुछ मिसरों का और इजाफा हुआ तो सोचा उन्हें फिर से आपके
हवाले कर दिया जाए....उम्मीद है आपके स्नेह से वो आगे बढ़ेंगे | शुक्रिया
!!!
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आँखों में लुत्फ़-ए-शराब वो, मेरी जिन्दगी की किताब वो,
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
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आँखों में लुत्फ़-ए-शराब वो, मेरी जिन्दगी की किताब वो,
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
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महफ़िल में गर वो शबाब हैं तो कलम से हम आफताब हैं,
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
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होटों पे मखमली ताब सी , गुलशन में खिलते गुलाब सी,
हैं वो नरगिसी मस्तानगी , जालिम सी कातिल ख्वाब वो |
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गर जुल्फी सायों में सर नहीं, शेरों में फिर वो असर नहीं,
अब ग़ज़ल कहूँ या नज़म इसे, मेरी हर नसर पे नकाब वो |
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मुझे जब मिले वो हुई खबर, हुए टुकड़े-टुकड़े कई जिगर,
ये सितम भी सहते निकल गई,ये उम्र हुई इक किताब वो |
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________________हर्ष महाजन
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
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होटों पे मखमली ताब सी , गुलशन में खिलते गुलाब सी,
हैं वो नरगिसी मस्तानगी , जालिम सी कातिल ख्वाब वो |
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गर जुल्फी सायों में सर नहीं, शेरों में फिर वो असर नहीं,
अब ग़ज़ल कहूँ या नज़म इसे, मेरी हर नसर पे नकाब वो |
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मुझे जब मिले वो हुई खबर, हुए टुकड़े-टुकड़े कई जिगर,
ये सितम भी सहते निकल गई,ये उम्र हुई इक किताब वो |
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________________हर्ष महाजन
आँखों में लुत्फ़-ए-शराब वो, मेरी जिन्दगी की किताब वो
...
आँखों में लुत्फ़-ए-शराब वो, मेरी जिन्दगी की किताब वो,
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
महफ़िल में गर वो शबाब हैं तो कलम से हम आफताब हैं,
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
महफ़िल में गर वो शबाब हैं तो कलम से हम आफताब हैं,
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
________________हर्ष महाजन
Friday, May 22, 2015
मुकम्मिल हो न हो दिल प्यार में तो खूब तड़पता है
...
मुकम्मिल हो न हो दिल प्यार में तो खूब तड़पता है,
सकूं से कहता अश्कों से चले आइये चले आइये |
हर्ष महाजन
मुकम्मिल हो न हो दिल प्यार में तो खूब तड़पता है,
सकूं से कहता अश्कों से चले आइये चले आइये |
हर्ष महाजन
Thursday, May 21, 2015
कभी तो दिल की महफ़िल में सलाम-ए-इश्क फरमाइए
नज़्म
कभी तो दिल की महफ़िल में सलाम-ए-इश्क फरमाइए,
हमें ईजाद करना है कलाम-ए-इश्क चले आइये |
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तुझे बस देखकर लफ्ज़ी तलाफुज़ भूल जाता हूँ ,
अहसासों की शहादत हो रही अब तो चले आइये |
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हमें ईजाद करना है कलाम-ए-इश्क चले आइये |
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तुझे बस देखकर लफ्ज़ी तलाफुज़ भूल जाता हूँ ,
अहसासों की शहादत हो रही अब तो चले आइये |
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दर्द इतना है दिल में आज फिर भी मैं दुआ दूंगा,
यकीं मुझको है ढूँढोगे कलम इस बार चले आइये |
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यकीं मुझको है ढूँढोगे कलम इस बार चले आइये |
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अगर साँसों की कीमत पर गए कुछ लोग मिल जाएँ,
मिलेगा लुत्फ़ तभी जब लोग वो कह दें चले आइये |
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ये नफरत कितनी भी ऊंची सख्त-जाँ हो मगर फिर भी,
मुहब्बतों के सभी रस्ते दिलों से हैं चले आइये |
मिलेगा लुत्फ़ तभी जब लोग वो कह दें चले आइये |
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ये नफरत कितनी भी ऊंची सख्त-जाँ हो मगर फिर भी,
मुहब्बतों के सभी रस्ते दिलों से हैं चले आइये |
__________हर्ष महाजन
Wednesday, May 20, 2015
कभी तो दिल की महफ़िल में सलाम-ए-इश्क फरमाइए
...
कभी तो दिल की महफ़िल में सलाम-ए-इश्क फरमाइए,
हमें ईजाद करना है कलाम-ए-इश्क चले आइये |
हमें ईजाद करना है कलाम-ए-इश्क चले आइये |
___________हर्ष महाजन
Tuesday, May 19, 2015
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली
!! जय माता दी !!
माँ शेराँ वाली
=========
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली,
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
न छोड़ेंगे हम माँ ये दामन तुम्हारा,------ 3
जहां में बचा है बस तेरा सहारा
दे अपने चरण की शरण शेरां वाली ,
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
मैं आया हूँ तेरे दर पे बनके सवाली-------3
भर दे तू झोली मेरी बिलकुल खाली,
दे अपनी निगाह की किरण शेरां वाली |
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
नंगी-नंगी पैरी देवां चल के मैं आया----3
जित्थे-जित्थे तेरा मंदिर, शीश झुकाया,
तू काढ दे दिलां दी ए चुबन शेरां वाली |
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
हर्ष महाजन
!! जय माता दी !!
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
न छोड़ेंगे हम माँ ये दामन तुम्हारा,------ 3
जहां में बचा है बस तेरा सहारा
दे अपने चरण की शरण शेरां वाली ,
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
मैं आया हूँ तेरे दर पे बनके सवाली-------3
भर दे तू झोली मेरी बिलकुल खाली,
दे अपनी निगाह की किरण शेरां वाली |
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
नंगी-नंगी पैरी देवां चल के मैं आया----3
जित्थे-जित्थे तेरा मंदिर, शीश झुकाया,
तू काढ दे दिलां दी ए चुबन शेरां वाली |
इधर कर निगाह-ए-करम शेरां वाली |
रहम कर रहम कर रहम शेरां वाली ...
हर्ष महाजन
!! जय माता दी !!
Monday, May 18, 2015
काश तुम साथ होते तो यकीनन
...
काश दिल में तेरे उल्फत के ज़खीरे होते,
तुम यकीनन मेरे....हाथों में लकीरें होते |
तुम यकीनन मेरे....हाथों में लकीरें होते |
___________हर्ष महाजन
Saturday, May 16, 2015
तेरे क़दमों पे शमाओं को गिला है तुझसे
...
तेरे क़दमों पे शमाओं को गिला है तुझसे,
ये खलल दिल में हुआ जो भी मिला है तुझसे |
.
ये खलल दिल में हुआ जो भी मिला है तुझसे |
.
ये महफिलें तो हुईं सच में तुझी से रौशन,
जब से आने का पता तेरा चला है तुझसे |
मौज ये तेरी हुई दिल भी हुआ गाफिल सा,
आश्ना जब से हुई कोई मिला है तुझसे |
ये लफ्ज़ तुझपे चलेंगे कभी यूँ तंज बनके,
ज़बर से अपने भी कह देंगे गिला है तुझसे |
मौत दिल की या बदन की या मुकम्मिल है ये ,
ये महफ़िलों में ‘हर्ष’ कोई जला है तुझसे |
हर्ष महाजन
जब से आने का पता तेरा चला है तुझसे |
मौज ये तेरी हुई दिल भी हुआ गाफिल सा,
आश्ना जब से हुई कोई मिला है तुझसे |
ये लफ्ज़ तुझपे चलेंगे कभी यूँ तंज बनके,
ज़बर से अपने भी कह देंगे गिला है तुझसे |
मौत दिल की या बदन की या मुकम्मिल है ये ,
ये महफ़िलों में ‘हर्ष’ कोई जला है तुझसे |
हर्ष महाजन
Friday, May 15, 2015
शिकवे गिले जो कुछ भी हैं, तुझको भी हैं मुझको भी हैं
OOOOOOOOO
शिकवे गिले जो कुछ भी हैं, तुझको भी हैं मुझको भी हैं ,
परेशानियां जो कुछ भी हैं......तुझको भीं मुझको भी हैं |
तुमको रहेगा उम्र-भर............इस टूटते रिश्ते का गम
मजबूरियां जो कुछ भी हैं....तुझको भी हैं मुझको भी हैं |
परेशानियां जो कुछ भी हैं......तुझको भीं मुझको भी हैं |
तुमको रहेगा उम्र-भर............इस टूटते रिश्ते का गम
मजबूरियां जो कुछ भी हैं....तुझको भी हैं मुझको भी हैं |
OOOOOOOOO
बेचकर क्या ज़मीर....इंसा रह पायेगा
...
बेचकर क्या ज़मीर....इंसा रह पायेगा,
दौलतों का वज़न क्या वो सह पायेगा |
जिस अना पे टिकी थी कली शाख पर,
गर टूटी क्या शिकवों को सह पायेगा |
दौलतों का वज़न क्या वो सह पायेगा |
जिस अना पे टिकी थी कली शाख पर,
गर टूटी क्या शिकवों को सह पायेगा |
_______हर्ष महाजन
Thursday, May 14, 2015
मुझको मेरा यार पुराना पूछेगा
...
बदली में है चाँद दीवाना पूछेगा,
मुझको मेरा यार पुराना पूछेगा |
शक्ल से मेरी नफरत उसको बेपनाह ,
खो गए तो ठोर ठिकाना पूछेगा |
इन्तहा यूँ ज़ुल्म की लगता हो गयी,
करके वो मुझको बेगाना पूछेगा |
जाग उठे नफरत न मेरे दिल में अब,
फिर वो मिलने का बहाना पूछेगा |
टूटी जो तस्वीर लिए था दिल में 'हर्ष'
कहाँ गयी सारा ज़माना पूछेगा |
हर्ष महाजन
अतीत के पन्नों से
बदली में है चाँद दीवाना पूछेगा,
मुझको मेरा यार पुराना पूछेगा |
शक्ल से मेरी नफरत उसको बेपनाह ,
खो गए तो ठोर ठिकाना पूछेगा |
इन्तहा यूँ ज़ुल्म की लगता हो गयी,
करके वो मुझको बेगाना पूछेगा |
जाग उठे नफरत न मेरे दिल में अब,
फिर वो मिलने का बहाना पूछेगा |
टूटी जो तस्वीर लिए था दिल में 'हर्ष'
कहाँ गयी सारा ज़माना पूछेगा |
हर्ष महाजन
अतीत के पन्नों से
मुझे फिर बदहवास न करना तुम ख्वाबों में आकर
...
मुझे फिर बदहवास न करना तुम ख्वाबों में आकर,
बा-मुश्किल चिराग-ए-दिल अपना शांत किया है मैंने |
मुझे फिर बदहवास न करना तुम ख्वाबों में आकर,
बा-मुश्किल चिराग-ए-दिल अपना शांत किया है मैंने |
________________________हर्ष महाजन
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