Friday, August 28, 2015

बड़ी मुश्किल से पाला है वो दुश्मन राज़ की खातिर

...

बड़ी मुश्किल से पाला है वो दुश्मन राज़ की खातिर,
तेरा भी नाम हो जाए..........मेरा इंतिकाम हो जाए |

______________हर्ष महाजन

Tuesday, August 25, 2015

ऎ खुदा हो सके तो इक बार उनसे मिलने की बारी रखना

....

ऎ खुदा हो सके तो इक बार उनसे मिलने की बारी रखना,
वरना अकेली हूँ अपनी अदालत में मेरी भी तैयारी रखना ।

-------------------–-हर्ष महाजन

Tuesday, August 11, 2015

गाफिल, तू मुझको ये बता किस-किस पे नज़र है

...

गाफिल, तू मुझको ये बता किस-किस पे नज़र है,
चलना मगर, इस राह की, मुश्किल ये डगर है |

इंसान की तहजीब पर दौलत का है दखल ,
पर भूलता है मुक्तसिर उसका ये सफ़र है |

किस-किस करम से जूझता है आदमी यहाँ,
अब क्या किये, ज़ुल्मो सितम, खुद को भी खबर है |

इतना कहर था बादलों का उजड़ी बस्तियां,
टूटा, लगे बरसात का जितना भी सबर है |

जिनके लिए हंसती रही जो आँखें उम्र भर,
छोड़ा हैं, ऐसा गम वहाँ अब तक वो असर है |

०००
==========================
हर्ष महाजन

==========================
2212   2212   2212  12

Monday, August 10, 2015

जहाँ दर्द चले मद्धम-मद्दम ( गीत )


गीत
.
जहाँ दर्द चले मद्धम-मद्दम, वहां दिल में उमंग भी लंबा रे,
जहाँ हुस्न हुआ बेकल-बेकल, वहां प्यार का रंग भी मंदा रे |
.
जब रात हो कटती गरमी में, बरसात में भी बरसात नहीं,
सब वादे वहां फिर दफ्न हुए, हुआ मौसम इश्क का गंदा रे |
.

जहाँ फूल खिलें गुलशन-गुलशन, पतझड़ का फिर वहां काम है क्या ,
जहाँ कलियाँ डाल से झरने लगें, माली का उस पर फंदा रे |
.

इस शहर की शानो शौकत में, अब इश्क भी नामुमकिन सा हुआ,
हर शाख पे उल्लू बैठे हैं, रंगरलियों का अब ये धंधा रे |
.

कभी सूली पर ईमान चढ़ा, कभी फंदा नफरत का था चढ़ा,
पर झूठा सच्चा जो भी चढ़ा, हर बार खुदा का ही बंदा रे |

हर्ष महाजन