Wednesday, September 23, 2015

न खेल दिल्लगी का तू कुछ तो खुदा से डर

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न खेल दिल्लगी का तू कुछ तो खुदा से डर,
इतना कहर है, आह में उसकी, सजा से डर |
लेकर बहाना अम्न का पल-पल करे क्लेश,
अपने जहाँ में आग लगे इस अदा से डर |
हर्ष महाजन

Tuesday, September 22, 2015

ऐ ज़िंदगी सलाम तुझे....क्या किया सितम

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ऐ ज़िंदगी सलाम तुझे....क्या किया सितम.
इक पल में दे गयी तू मुझे अतीत और गम |
लखते जिगर को छीन तुम्हें क्या सकूं मिला,
कुछ तो बता कसूर मेरा.......या बता करम |


________हर्ष महाजन

टूटी है दिल के आज मेरे दरम्यान ज़िंदगी

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टूटी है दिल के आज मेरे दरम्यान ज़िंदगी,
जब से हुई है तुझसे मेरी पहचान ज़िन्दगी |

___________हर्ष महाजन