...
मुहब्बत हो रही बदनाम मेरे अफ़साने बहुत हैं,
तेरे इस शहर में अब तो मेरे दीवाने बहुत हैं |
तेरे इस शहर में अब तो मेरे दीवाने बहुत हैं |
तेरी आंखों के समंदर में मिले है नशा इतना,
वरना कहने को तो इस शहर में मैखाने बहुत हैं |
वरना कहने को तो इस शहर में मैखाने बहुत हैं |
यूँ ही खिलते हुए फूलों को झड़ते देखा है मैंने,
जिन्हें अंजाम देने को यहाँ बेगाने बहुत हैं |
जिन्हें अंजाम देने को यहाँ बेगाने बहुत हैं |
तेरे कूचे में आकर दिल की कश्ती डूब जाती है,
मगर तुम देखो तो हम प्यार में अनजाने बहुत हैं |
मगर तुम देखो तो हम प्यार में अनजाने बहुत हैं |
मेरी रातें तेरी यादों से सजी रहती हैं लेकिन,
मुझको डर है तो बस इन यादों के ठिकाने बहुत हैं |
मुझको डर है तो बस इन यादों के ठिकाने बहुत हैं |
हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment