_________नज़्म
हम जब-जब बर्बादी-ए-दिल सुनाते रहे
जश्न वो यूँ ही मनाते रहे |
खुशी से न मर जाएँ यही कहा उसने
फिर बे-वफाई का किस्सा फख्र से सुनाते रहे
आंसुओं से नवाज़ा उसने मुझको इस तरह
हम तब से चश्म अपने सहलाते रहे|
बातों में उसकी सियाही का ज़िक्र था
रफ्ता-रफ्ता मेरी जिंद में लगाते रहे |
_______हर्ष महाजन @
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