_________एक गीत
मेरे दिल की बातें जो कागज़ पे थीं,
दर्द-ए-दिल में असुअन से खाए नमीं ।
गम-ए-फुर्कत से न निकले कोई हल,
जब तक न बनेगी कोई दिल पे ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें ............
मुझको मालूम है तू होगा फनां,
मेरे बिना तुझको भी जानां कहाँ ।
शिकायतें तो तुझको ज़माने से थीं,
जाने फिर क्यूँ ढूंढें है मुझमें कमीं ।
मेरे दिल की बातें..........
अब तो लुत्फ़-ए-ज़न्नत गली में तेरी,
दिल में कलियाँ खिल गयीं अब मेरी ।
बुलंदी पे तारों की छाँव घनीं,
पाँव नीचे न होगी कोई ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें..........
मैं हक पे हूँ तो गम है किस बात का,
मुखालिफ ये दुनियाँ तो डर भी है क्या ।
रूह मेरी कातिल तिरे गम में सनीं,
खुदा के लिए अब तू कर ले यकीं ।
मेरे दिल की बातें..........
__________हर्ष महाजन
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गम-ए-फुर्कत=जुदाई
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मेरे दिल की बातें जो कागज़ पे थीं,
दर्द-ए-दिल में असुअन से खाए नमीं ।
गम-ए-फुर्कत से न निकले कोई हल,
जब तक न बनेगी कोई दिल पे ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें ............
मुझको मालूम है तू होगा फनां,
मेरे बिना तुझको भी जानां कहाँ ।
शिकायतें तो तुझको ज़माने से थीं,
जाने फिर क्यूँ ढूंढें है मुझमें कमीं ।
मेरे दिल की बातें..........
अब तो लुत्फ़-ए-ज़न्नत गली में तेरी,
दिल में कलियाँ खिल गयीं अब मेरी ।
बुलंदी पे तारों की छाँव घनीं,
पाँव नीचे न होगी कोई ज़मीं ।
मेरे दिल की बातें..........
मैं हक पे हूँ तो गम है किस बात का,
मुखालिफ ये दुनियाँ तो डर भी है क्या ।
रूह मेरी कातिल तिरे गम में सनीं,
खुदा के लिए अब तू कर ले यकीं ।
मेरे दिल की बातें..........
__________हर्ष महाजन
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गम-ए-फुर्कत=जुदाई
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