…
कैसे दर-किनार करूँ , दिल से तुझे प्यार करूँ ,
मुझको समझाया बहुत फिर भी बार-बार करूँ ।
खुद को तनहा भी किया, ज़ख्म नासूर भी हुए,
दुनियाँ जालिम भी कहे, कहे तो इकरार करूँ ।
तुने इश्क़ बदले बहुत, मगर उसे समझा नहीं,
कहर उसमें जो सहा , कहो तो इज़हार करूँ ।
वैसे तो अच्छा ही हुआ, तू जो बेवफा ही हुआ ,
लबों पे हैं नाम बहुत, क्यूँ मैं अश्क़बार करूँ ।
मौत का खौफ नहीं, ग़मों का संग था जो तेरा,
आखिर थाम लूँगा तुझे, क्यूँ न ऐतबार करूँ ।
______________हर्ष महाजन
कैसे दर-किनार करूँ , दिल से तुझे प्यार करूँ ,
मुझको समझाया बहुत फिर भी बार-बार करूँ ।
खुद को तनहा भी किया, ज़ख्म नासूर भी हुए,
दुनियाँ जालिम भी कहे, कहे तो इकरार करूँ ।
तुने इश्क़ बदले बहुत, मगर उसे समझा नहीं,
कहर उसमें जो सहा , कहो तो इज़हार करूँ ।
वैसे तो अच्छा ही हुआ, तू जो बेवफा ही हुआ ,
लबों पे हैं नाम बहुत, क्यूँ मैं अश्क़बार करूँ ।
मौत का खौफ नहीं, ग़मों का संग था जो तेरा,
आखिर थाम लूँगा तुझे, क्यूँ न ऐतबार करूँ ।
______________हर्ष महाजन
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