...
देखते ही देखते शेरांवाली का मंजर बना,
बारूद सा उठा जयकारा मेरे अंदर बना ।
जानी पहचानी थी रहमत पहाडाँवाली की,
जिस्म मेरा न रहा ज्योतों का समंदर बना ।
-------------हर्ष महाजन
देखते ही देखते शेरांवाली का मंजर बना,
बारूद सा उठा जयकारा मेरे अंदर बना ।
जानी पहचानी थी रहमत पहाडाँवाली की,
जिस्म मेरा न रहा ज्योतों का समंदर बना ।
-------------हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment