...
कई दुश्मन दुश्मनों के बहुत ही करीब देखें हैं,
उम्र गुजरी मुकालते में ऐसे बदनसीब देखे हैं |
किस तरह नपेगी ये दोस्ती इस माहौल में 'हर्ष'
हमने तो दोस्तों में भी बहुत से रकीब देखें हैं |
उम्र गुजरी मुकालते में ऐसे बदनसीब देखे हैं |
किस तरह नपेगी ये दोस्ती इस माहौल में 'हर्ष'
हमने तो दोस्तों में भी बहुत से रकीब देखें हैं |
___________हर्ष महाजन
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