Thursday, November 13, 2014

तजुर्बा हो गया हमको वो बचपन के महीनों का

...

तजुर्बा हो गया हमको..........वो बचपन के महीनों का,
जवानी छोड़ रही पलपल......अब संग महजबीनों का |
वो मस्ती का जो आलम था....वो आएगा कहाँ ऐ ‘हर्ष’’
जो है अब संग हमारे बस .दिया ये ज़ख्म हसीनों का |

____________________हर्ष महाजन

...

Tazurba ho gaya hamko wo bachpan ke maheenoN ka,
Jawaani chhoRh rahi pal-pal ab sang mahzabeenoN ka.
Wo masti ka jo aalam tha wo aayega kahaaN ai 'Harash',
Jo hai ab sang hamaare bas diya ye zakhm haseenoN ka.

____________________Harash Mahajan

No comments:

Post a Comment