...
मेरा दिल फ़क़त चाहता था बस इक बार नज़र भर देख ले,
पर क्या गरज थी उसे जो मुझमें गर हमसफ़र भर देख ले |
ये तो मैं ही था मेरा हौंसिला.....कि उसके दर को छू लिया,
मेरे बाद उसकी गली में कोई..........और नज़र भर देख ले |
पर क्या गरज थी उसे जो मुझमें गर हमसफ़र भर देख ले |
ये तो मैं ही था मेरा हौंसिला.....कि उसके दर को छू लिया,
मेरे बाद उसकी गली में कोई..........और नज़र भर देख ले |
__________________हर्ष महाजन
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