...
तनहा सी ज़िन्दगी में..........वो बात ढूंढते हैं,
अब कैसे दे गयी गम...........वो रात ढूंढते हैं |
अब कैसे दे गयी गम...........वो रात ढूंढते हैं |
टूटा दिल भी उसने...झुलसा के छोड़ दिया यूँ,
अब दिल के छोटे टुकड़े.....सवालात ढूंढते हैं |
सोचा न था तन्हाई.........का होगा दर्द यूँ भी.
कैसे बने हैं दुश्मन..........वो हालात ढूंढते हैं |
हमदम बने हैं दुश्मन जहाँ प्यार की थी बातें,
सदियों से हम भी उनके....ख्यालात ढूंढते हैं |
नाकामियाँ बनी हैं.....मुक़द्दर यूँ ज़िंदगी का,
लगता ख्याल मेरे...........हवालात ढूंढते हैं |
_____________हर्ष महाजन
अब दिल के छोटे टुकड़े.....सवालात ढूंढते हैं |
सोचा न था तन्हाई.........का होगा दर्द यूँ भी.
कैसे बने हैं दुश्मन..........वो हालात ढूंढते हैं |
हमदम बने हैं दुश्मन जहाँ प्यार की थी बातें,
सदियों से हम भी उनके....ख्यालात ढूंढते हैं |
नाकामियाँ बनी हैं.....मुक़द्दर यूँ ज़िंदगी का,
लगता ख्याल मेरे...........हवालात ढूंढते हैं |
_____________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment