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गर इशारों में जो होती......महोब्बत की ज़मीं,
तो यकीनन अल्फासों को.......शिकायत होती |
हर वो पत्थर के मुक़द्दर....में नहीं होना खुदा,
फिर वो पत्थर से दिल पे क्यूँ इनायत होती |
____________हर्ष महाजन
गर इशारों में जो होती......महोब्बत की ज़मीं,
तो यकीनन अल्फासों को.......शिकायत होती |
हर वो पत्थर के मुक़द्दर....में नहीं होना खुदा,
फिर वो पत्थर से दिल पे क्यूँ इनायत होती |
____________हर्ष महाजन
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