Hoke mazboor usey dil se nikala hoga
Dard kitna tha jo usne uchhala hoga
Yaad aata hai ban mom sa hona uska
Dil meiN ranj-o-gum na dard meiN khona uska
Uski har chaah ko har shai se milana uska
Chhoti si baat per har baar lad jaana uska
hoke mazboor usey dil se nikala hoga
dard kitna tha jo usne uchhala hoga
Dil meiN ranj-o-gum na dard meiN khona uska
Uski har chaah ko har shai se milana uska
Chhoti si baat per har baar lad jaana uska
hoke mazboor usey dil se nikala hoga
dard kitna tha jo usne uchhala hoga
Banke pather dil her-yaad ko khona uska
Band kamre meiN chhup chhup ker rona uska
Dil me sheekayat our mann meiN bagawat uski
Jis tarah pyaar tha ab dekhe haiN nafrat uski
Band kamre meiN chhup chhup ker rona uska
Dil me sheekayat our mann meiN bagawat uski
Jis tarah pyaar tha ab dekhe haiN nafrat uski
Jhooth ki saiz pe tha pyaar ko paala hoga
Itne arse se ik bhozh sambhala hoga
Hoke tanha bhi, Ghayal bhi our Gum meiN bhi
Usne RishtoN ko, kis baat pe taala hoga.
Keh ke woh chal diye ke choRh chuke duniya saari
Hum bhi khaamosh the woh khel rahe aakhiri paari
par woh bhoole the har raah per chhala hoga
Kis tarah usne ik pyaar ko Taala hoga.
Hoke mazboor usey dil se nikala hoga
Dard kitna tha, jo usne uchhala hoga
Harash Mahajan @copyright
_________नज़्म
होके मजबूर उसे दिल से निकाला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
याद आता है बन मोम सा होना उसका
दिल में रंज-ओ-गम न दर्द में खोना उसका ।
उसकी हर चाह को हर शै से मिलाना उसका
छोटी सी बात पर हर बार लड़ जाना उसका ।
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
बनके पत्थर दिल हर याद को खोना उसका
बंद कमरे में छुप-छुप कर रोना उसका
दिल में शिकवे हैं, मन में है, बगावत उसकी
जिस तरह प्यार था ,अब देखे नफरत उसकी
झूठ की सेज पे, अब प्यार को पाला होगा
इतने अरसे से इक बोझ संभाला होगा ।
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
होके तन्हा भी घायल भी और गम में भी
उसने रिश्तों को किस बात पे टाला होगा ।
चल दिए होंगे ये कह के दुनिया छोडी
हम भी खामोश के खेली होगी आखिरी पारी
पर वो भूले थे हर राह पर छाला होगा ।
किस तरह उसने इक प्यार को टाला होगा
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
हर्ष महाजन
_________नज़्म
होके मजबूर उसे दिल से निकाला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
याद आता है बन मोम सा होना उसका
दिल में रंज-ओ-गम न दर्द में खोना उसका ।
उसकी हर चाह को हर शै से मिलाना उसका
छोटी सी बात पर हर बार लड़ जाना उसका ।
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
बनके पत्थर दिल हर याद को खोना उसका
बंद कमरे में छुप-छुप कर रोना उसका
दिल में शिकवे हैं, मन में है, बगावत उसकी
जिस तरह प्यार था ,अब देखे नफरत उसकी
झूठ की सेज पे, अब प्यार को पाला होगा
इतने अरसे से इक बोझ संभाला होगा ।
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
होके तन्हा भी घायल भी और गम में भी
उसने रिश्तों को किस बात पे टाला होगा ।
चल दिए होंगे ये कह के दुनिया छोडी
हम भी खामोश के खेली होगी आखिरी पारी
पर वो भूले थे हर राह पर छाला होगा ।
किस तरह उसने इक प्यार को टाला होगा
होके मजबूर उसे दिल से निकला होगा
दर्द कितना था जो उसने उछाला होगा ।
होके मजबूर.......
हर्ष महाजन
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