ये जुल्फें
अब
उम्र की
मोहताज़ नहीं हैं !!
ये रुख पे !
अगर
बिखर भी जाएँ
तो क्या है !!
गर लट में
अब
उसके
तरोताज़ नहीं है ।
अब
रंगने से इन्हें
दिल भी !
निखर जाए
तो क्या है !!
हर्ष महाजन
अब
उम्र की
मोहताज़ नहीं हैं !!
ये रुख पे !
अगर
बिखर भी जाएँ
तो क्या है !!
गर लट में
अब
उसके
तरोताज़ नहीं है ।
अब
रंगने से इन्हें
दिल भी !
निखर जाए
तो क्या है !!
हर्ष महाजन
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