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मैंने आज रुख आँधियों का मोड़ दिया
हादसा हुआ अजीब लिखना छोड़ दिया ।
कितने उठे थे सवाल सभी महफ़िलों में
अपने हाथों सर-ए-बज़्म दिल तोड़ दिया ।
कुछ इस अंदाज़ से उसने खोले मेरे ख़त ,
दुनियां ने उस संग मेरा नाम जोड़ दिया ।
रुखसत हुआ तो बोझ था उसके दिल पर,
दुनिया ने बे-वज़ह ही रिश्ता मरोड़ दिया ।
ऐ गर्दिश-ए-दौरां भला क्या किसी से डरें
हमने प्यार से नफरत का रुख मोड़ दिया ।
_______________हर्ष महाजन ।
गर्दिश-ए-दौरां= मुसीबत का समय
मैंने आज रुख आँधियों का मोड़ दिया
हादसा हुआ अजीब लिखना छोड़ दिया ।
कितने उठे थे सवाल सभी महफ़िलों में
अपने हाथों सर-ए-बज़्म दिल तोड़ दिया ।
कुछ इस अंदाज़ से उसने खोले मेरे ख़त ,
दुनियां ने उस संग मेरा नाम जोड़ दिया ।
रुखसत हुआ तो बोझ था उसके दिल पर,
दुनिया ने बे-वज़ह ही रिश्ता मरोड़ दिया ।
ऐ गर्दिश-ए-दौरां भला क्या किसी से डरें
हमने प्यार से नफरत का रुख मोड़ दिया ।
_______________हर्ष महाजन ।
गर्दिश-ए-दौरां= मुसीबत का समय
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