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ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी,
पर जिसे देखता हूँ वो उसी का हाल पूछता हैं मुझसे ।
मोहब्बत में अब खौफ सा क्यूँ होने लगा है मुझे 'हर्ष',
वो बे-वफ़ा तो नहीं दिल यही सवाल पूछता है मुझसे ।
____________हर्ष महाजन
ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी,
पर जिसे देखता हूँ वो उसी का हाल पूछता हैं मुझसे ।
मोहब्बत में अब खौफ सा क्यूँ होने लगा है मुझे 'हर्ष',
वो बे-वफ़ा तो नहीं दिल यही सवाल पूछता है मुझसे ।
____________हर्ष महाजन
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