Saturday, January 11, 2014

ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी



ता उम्र मसलहात में जूझते हुए गुजर गयी है मेरी,
पर जिसे देखता हूँ वो उसी का हाल पूछता हैं मुझसे ।
मोहब्बत में अब खौफ सा क्यूँ होने लगा है मुझे 'हर्ष',
वो बे-वफ़ा तो नहीं दिल यही सवाल पूछता है मुझसे । 


____________हर्ष महाजन
 

No comments:

Post a Comment