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कैसे बीते सभी को मालूम पैंसठ वर्ष आज़ादी के,
भूल गए सब वीरों को ज्यूँ दिन उनके बर्बादी के ।
क्या दिन थे जब गूँजा करते जुबां पे नाम शहीदों के,
मगर थी पनपी ऐसी सियासत आ गए दिन मनादी के ।
देख अहिंसा गांधी की फिर राजनीति नेहरू की चली,
सुभाष सरीखे शेखर फिर खेले शोले जांबाजी के ।
राजगुरु बटुकेश्वर दत्त भी हुए शहीद फिर उस रण में ,
जहाँ लिखे संग भगत के नारे अंग्रेजो की बर्बादी के ।
भारत छोडो, भारत छोड़ो , हिन्द का नारा आम हुआ,
बजे बिगुल पर टुकड़ों में जब पाक, हिन्द आजादी के ।
आओ चलो फिर हम प्रण लें सब भारत की अखण्डता पर,
कोई पड़ौसी उठे गर समझो रहे तैयार समाधी के ।
जय हिन्द -----जय भारत ----जय-जय हिंदुस्तान
________________हर्ष महाजन
कैसे बीते सभी को मालूम पैंसठ वर्ष आज़ादी के,
भूल गए सब वीरों को ज्यूँ दिन उनके बर्बादी के ।
क्या दिन थे जब गूँजा करते जुबां पे नाम शहीदों के,
मगर थी पनपी ऐसी सियासत आ गए दिन मनादी के ।
देख अहिंसा गांधी की फिर राजनीति नेहरू की चली,
सुभाष सरीखे शेखर फिर खेले शोले जांबाजी के ।
राजगुरु बटुकेश्वर दत्त भी हुए शहीद फिर उस रण में ,
जहाँ लिखे संग भगत के नारे अंग्रेजो की बर्बादी के ।
भारत छोडो, भारत छोड़ो , हिन्द का नारा आम हुआ,
बजे बिगुल पर टुकड़ों में जब पाक, हिन्द आजादी के ।
आओ चलो फिर हम प्रण लें सब भारत की अखण्डता पर,
कोई पड़ौसी उठे गर समझो रहे तैयार समाधी के ।
जय हिन्द -----जय भारत ----जय-जय हिंदुस्तान
________________हर्ष महाजन
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