…
दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है,
मेरा वज़ूद खुद मुझ से खफा हो गया है ।
जाने किस तरह काफूर हुई दिल से चाहत,
आँख का हर इक कतरा बे-वफ़ा हो गया है ।
____________हर्ष महाजन
दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है,
मेरा वज़ूद खुद मुझ से खफा हो गया है ।
जाने किस तरह काफूर हुई दिल से चाहत,
आँख का हर इक कतरा बे-वफ़ा हो गया है ।
____________हर्ष महाजन
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