...
आइये आज समंदर को बदल डालें ,
मेरे कुछ शेर हैं उनमें वज़न डालें |
मगर बदलूं कैसे बदनसीब मुक़द्दर,
चलो हाथ की लकीरों में खलल डालें |
_________हर्ष महाजन
आइये आज समंदर को बदल डालें ,
मेरे कुछ शेर हैं उनमें वज़न डालें |
मगर बदलूं कैसे बदनसीब मुक़द्दर,
चलो हाथ की लकीरों में खलल डालें |
_________हर्ष महाजन
सुन्दर मुक्तक।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति ओर स्नेहिल शब्दों के लिए शुक्रिया मयंक जी ।
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