Faargati chahta hooN
Sapne
Mere apne
Lout aao
Mere Dard ki mehfil maiN
Sama jao
de do sakooN Muzhko
Main is dard se
Faargati chahta hooN.
Tumne har rooh ko
Daaman maiN sameta hai
koi Gum maiN koi Bhram maiN
Main ik meethe dard ka
anubhav chahta hooN
SakooN chahta hooN.
MaiN bhi azaad hona chahta hooN
tumhaari tarah jeena chahta hooN
Per shayad aisa ho nahi sakta
Jaante ho kyuiN?
KyuiN ki maiN Insaan hooN.
Harash
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
No comments:
Post a Comment