-Kabhi kam na hogi ,kasak un diloN ki
Jin-maiN haiN teri kutchh yadeiN mubarak.
SapnoN maiN rahi ho har lamha tum un-sang,
Kadam-der-kadam makhmali raheiN mubarak.
SitaroN ki mehfil saji rahe umra bhar ab
Tumeh janam-din per sab houNsle mubarak.
Shool baneiN phool sab tumhare saffur maiN,
Be-daag ziNdagi ke har pal ab mubarak.
Churati ho dil ke dareechoN se dil bhi,
Aisi ho **** tumeh JANAM-DIN mubarak.
Harash
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
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