KhayaloN me mere Agar tum na hote
Yaqeenan Guzarti umar rote-rote.
YuN likhte hue 'Gum' qalam dagmagaye
Thaka huN ai sahil ye hunar ddote-ddote.
paher aakhiri jab shab-e-hizraN beeti
Lute is kader hum saher hote-hote.
HaiN dushman mire is jahaaN me bahut ab
Bachi hai na ziNd dar bader hote hote.
Falak per sitare yuN aaheiN bhi bharte
Jo dekheiN mire armaN zaher hote-hote.
Harash
122 122 122 122
Beh'r mutkaarib musamman saalim
***
एक तरही ग़ज़ल पेश है....काफी अरसा पहले कही थी....
ख्यालों में मेरे अगर तुम न होते
यकीनन गुजरती उम्र रोते-रोते |
यूँ लिखते हुए 'गम' कलम डगमगाए
थका हूँ ऐ साहिल ये हुनर ढोते-ढोते |
पहर आखिरी जब शब्-ए-हिज्राँ बीती
लुटे इस कदर हम सहर होते होते |
हैं दुश्मन मिरे इस जहां में बहुत अब
बची है न ज़िन्द दर-बदर होते-होते |
फलक पर सितारे यूँ आहें भी भरते
जो देखें मिरे अरमान ज़हर होते-होते |
..............हर्ष महाजन
122 122 122 122
Beh'r mutkaarib musamman saalim
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ख्यालों में मेरे अगर तुम न होते
यकीनन गुजरती उम्र रोते-रोते |
यूँ लिखते हुए 'गम' कलम डगमगाए
थका हूँ ऐ साहिल ये हुनर ढोते-ढोते |
पहर आखिरी जब शब्-ए-हिज्राँ बीती
लुटे इस कदर हम सहर होते होते |
हैं दुश्मन मिरे इस जहां में बहुत अब
बची है न ज़िन्द दर-बदर होते-होते |
फलक पर सितारे यूँ आहें भी भरते
जो देखें मिरे अरमान ज़हर होते-होते |
..............हर्ष महाजन
122 122 122 122
Beh'r mutkaarib musamman saalim
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