गुलजार साहब

#तकती

दोस्तो आज हम बात करेंगे एक ऐसी हस्ती की जिसके बिना फ़िल्म जगत अधूरा सा लगेगा ।
ये शख्स सम्‍पूरन सिंह कालरा  जिसका जन्‍म 18 अगस्‍त 1936 को दीना नाम की उस जगह में हुआ जो कि आजकल पाकिस्‍तान में है । वही शख्‍स जिसे हम आजकल गुलज़ार के नाम से जानते हैं । गुलज़ार साहब अभी तक 20 फिल्‍मफेयर और 5 राष्‍ट्रीय पुरुस्‍कार अपने गीतों के लिये ले चुके हैं । साहित्‍य अकादमी पुरुस्‍कार और जाने कितने सम्‍मान उनकी झोली में हैं । इनका जन्म सिक्‍ख धर्म में हुआ । गुलज़ार का गाने लिखने से पहले का अनुभव कार मैकेनिक के रूप में है। आज हम बात करेंगें उन्‍हीं गुलज़ार साहब का एक लिकप्रिय गीत और उसकी तकती :

फ़िल्म है #घर संगीत है आर.डी.बर्मन जी का और गायक  किशोर दा और लता जी

बोल:

आपकी आँखों में कुछ महके हुए से राज़ हैं
आपसे भी खूबसूरत आपके अंदाज़ हैं

लब हिले तो मोगरे के फूल खिलते हैं कहीं
आपकी आँखों में क्या साहिल भी मिलते हैं कहीं
आपकी खामोशियाँ भी, आप की आवाज़ हैं

आपकी बातों में फिर कोई शरारत तो नहीं
बेवजह तारिफ़ करना आपकी आदत तो नहीं
आपकी बदमाशियों के ये नये अंदाज़ हैं
आपकी आँखों में...

2122-2122-2122-212
 (बहरे रमल मुसम्मन महजूफ़ )

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आइए उसी धुन और बहर पर एक और गीत गुनगुनाएं :

गीतकार : राजा मेहदी अली खान, गायक : लता मंगेशकर, संगीतकार : मदन मोहन, फ़िल्म : अनपढ़ का ये मधुर गीत :

"आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे"

या फिर एक और नग़मा:

"दिल लगा कर हम ये समझे ज़िन्दगी क्या चीज़ है ।'

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