Lagta hai unhe hamari baatoN ka koi lafz GaNwara nahiN
NigaahoN meiN jo tadap hai usey abhi tak SaNwara nahiN
NigaahoN meiN jo tadap hai usey abhi tak SaNwara nahiN
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
हर्ष जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
अच्छा लगा आपको पढ़ कर.
आप मेरे हमपेशा आगरा हैं.
एक अनुरोध: ट्रांसलिटरेशन का प्रयोग करें.
आशीष
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नौकरी इज़ नौकरी.
क्षमा कीजिये, आगरा नहीं अग्रज.
ReplyDeleteShukriyaa^h aasheesh ji
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