Saturday, January 31, 2015

तनहा सी ज़िन्दगी में वो बात ढूंढते हैं

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तनहा सी ज़िन्दगी में..........वो बात ढूंढते हैं,
अब कैसे दे गयी गम...........वो रात ढूंढते हैं |

टूटा दिल भी उसने...झुलसा के छोड़ दिया यूँ,
अब दिल के छोटे टुकड़े.....सवालात ढूंढते हैं | 


सोचा न था तन्हाई.........का होगा दर्द यूँ भी.
कैसे बने हैं दुश्मन..........वो हालात ढूंढते हैं |


हमदम बने हैं दुश्मन जहाँ प्यार की थी बातें,
सदियों से हम भी उनके....ख्यालात ढूंढते हैं | 


नाकामियाँ बनी हैं.....मुक़द्दर यूँ ज़िंदगी का,
लगता ख्याल मेरे...........हवालात ढूंढते हैं | 



_____________हर्ष महाजन

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