Tuesday, March 3, 2015

रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',

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रिश्ते निभाना इतना भी तो आसां नहीं है 'हर्ष',
लफ़्ज़ों के दरमियाँ समझने को और कुछ भी है |

________________हर्ष महाजन

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