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हिन्दूसितां की धरती पर.....सियासत क्यूँ मुरदार हुई,
छोड़ मुहब्बत की ये कसमें, बुजदिली क्यूँ किरदार हुई |
लहू जवानों का जब उबला....दुश्मन इक-इक ढेर हुआ,
देख शहादत, इनकी फिर भी.... अक्लें, क्यूँ बीमार हुई |
छोड़ मुहब्बत की ये कसमें, बुजदिली क्यूँ किरदार हुई |
लहू जवानों का जब उबला....दुश्मन इक-इक ढेर हुआ,
देख शहादत, इनकी फिर भी.... अक्लें, क्यूँ बीमार हुई |
____________हर्ष महाजन
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