...
तेरे हिस्से की मैंने दिल में इक सौगात रक्खी है,
ज़रा आओ तो परदे में.....ज़मीं आज़ाद रक्खी है |
तेरे कूचे की मुझको......यादें क्यूँ जीने नहीं देतीं,
नज़र भर देख आँखों में वो शय आबाद रक्खी है |
तेरे हिस्से की मैंने दिल में इक सौगात रक्खी है,
ज़रा आओ तो परदे में.....ज़मीं आज़ाद रक्खी है |
तेरे कूचे की मुझको......यादें क्यूँ जीने नहीं देतीं,
नज़र भर देख आँखों में वो शय आबाद रक्खी है |
______हर्ष महाजन
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