Monday, June 20, 2016

तेरे मसलों में न जाने किस जगह मंजिल मिले



...

तेरे मसलों में न जाने किस जगह मंजिल मिले,
इतना भी अनमोल न रखना दिल में बस रंजिश मिले |
कौन जाने किस सफ़र में कोई कब आकर मिले,
मुझको लफ़्ज़ों में यूँ रखना राग में बंदिश मिले |

हर्ष महाजन

बहरे रमल मुसम्मन महफूज़
2122-2122-2122-212
*आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे

No comments:

Post a Comment