Monday, November 13, 2017

ये लफ्ज़ मेरे, सोच मेरी, नग्में भी मेरे,

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ये लफ्ज़ मेरे, सोच मेरी, नग्में भी मेरे,
अब जाने क्यूं ख्याल सभी उनमें हैं तेरे  ।
ये शाम भी हँसी-हँसी है वक़्त में वफा,
फ़िर जाने तेरी यादों में आँसू है क्यूँ मेंरे ।

--------------------हर्ष महाजन

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