समय का पहिया जब भी चलेगा, कुदरत का इंसाफ चले,
जब भी चले इंसान का पहिया चारो तरफ बेईमान चले ।
जब भी चले इंसान का पहिया चारो तरफ बेईमान चले ।
माफ करो भैया, काल चक्र भैया
दिल से दिल की बात सुने तो हर कोशिश में ताकत है,
जब भी चले ढफली अपनी तो हर जगह तूफान चले ।
माफ करो भैया, काल चक्र भैया
साथ रहें दुश्मन बनकर अर मौत पे अश्क़ बहाते है,
अपनों संग अना से अकड़ा रहा आखिर इकला जजमान चले ।
माफ करो भैया, काल चक्र भैया
हर्ष महाजन 'हर्ष'
No comments:
Post a Comment